घनश्यामजी के राजमदिर में जालोर की शासक गुलाबराय पासवान फागोत्सव मनाती थी , इतिहास के पन्नों से गायब हो गई जाने पीछे का रहस्य - JALORE NEWS
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घनश्यामजी के राजमदिर में जालोर की शासक गुलाबराय पासवान फागोत्सव मनाती थी , इतिहास के पन्नों से गायब हो गई जाने पीछे का रहस्य - JALORE NEWS
पत्रकार श्रवण कुमार ओड जालोर
जालौर ( 24 मार्च 2024 ) नमस्कार साथियों आज हम एक बार फिर से जालौर से जुड़े इतिहास से संबंधित जानकारी के साथ नया वीडियो लेकर आया हूं जालोर के इतिहास से जुड़ें कुछ किस्से हैं । अगर आप भी जालौर के रहने वाले हैं तो यहाँ आपके लिए कुछ खास संबंधित होगा।जैसे कि आप सभी को मालूम है कि आज होली का त्योहार है हम आपको जालोर एक मंदिर की जानकारी देने जा रहा हूं जोकि आज इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह चुके है । और इतिहास से भी यहां जानकारी लुप्त हो गई है। कहीं दशकों पूर्व में घनश्यामजी के राज मंदिर में जालोर की शासक गुलाबराय पासवान फागोत्सव मनाती थी परन्तु वर्तमान में अब यहां एक मंदिर बना हुआ है और इतिहास के पन्नों से गायब हो गया है। यहां के इतिहासकारों ने इसको लुप्त कर दिया है। और यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें । अब विडियो शुरू कर रहे हूं मैं।
घनश्यामजी के राजमदिर में जालोर की शासक गुलाबराय पासवान फागोत्सव मनाती थी क्या है पीछे का रहस्य जानें
जालोर में स्वतंत्र शासन संचालन के दौरान गुलाबराय जाटनी ने जालोर दुर्ग स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी में राजमदिर बनवाया जो आज घनश्यामजी के मंदिर के नाम वे विख्यात है, वर्तमान में राज्य सरकार के देवस्थान विभाग द्वारा इसे वार्षिक पूजापा राजमंदिर के नाम प्रदान किया जाता है। नृसिंह जयंती को यहां मेला लगता है, वर्तमान में इस मंदिर को नवीन आकार सत्यनारायण अग्रवाल अपने द्रव्यदान से करवा रहा था, जिनका कुछ सालों पहले ही देहांत हो गया है ।
यहां देखिए फ्री में घर बैठे खबर और जालोर जिले से जुड़ी इतिहास -- इतिहास के पन्नों से गायब हो गई जाने पीछे का रहस्य - JALORE NEWS https://youtu.be/UdqH5w9wsNI?feature=shared , आज विशेष कवरेज देखिए होली त्योहार से जुड़े जालोर का मंदिर प्राचीन काल काल , इलोजी बारात निकलने से पहले यहां पर क्यों आता है लोगों जाने पीछे का रहस्य
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इसके सेवग पुजारी भी गुलाबराय ने जोधपुर से लाये थे जो आज भी इनके वंशज पुजारी है। शहर के इसी राजमंदिर में गुलाबराय जाटनी होली पर फूलडोल उत्सव और रंग गुलाल- अवीर का फागोत्सव आयोजित करती थी तब महाराज की पासवान होने से होली के दिनों में जालोर की महिलाओं ने गुलाबराय के लिए फांगगीत गाया जो आज भी गांव- गांव में महिलाओं द्वारा गाया जाता है कि 'भंमर मौयों हे जाटनी जोधाणा वालों राज, एक पग भारी है जाटनी सोजतियों परौ मौलाव...' बखत सिंह की मृत्यु के बाद
उसका इकलौता पुत्र विजय सिंह मारवाड़ को राजा बना उसने जालोर परगना रामसिंह से छीन लिया। 1791 ईस्वी में विजय सिंह को माधवजी सिन्धिंयां से भारी पराजय का सामना करना पड़ा, इससे विजयसिंह की बड़ी बेज्जजती हुई ओर मारवाड़ के उनके उपजाऊ इलाके मराठों को देने पड़े। वहीं 1772 में ईस्वी में रामसिंह की मृत्यु हो गई तब 1781 ईस्वी में विजयसिंह ने दुबारा जालोर पर अधिकार कर लिया ओर अपनी पड़दायत पासवान गुलाबराय को जालोर की जागीर प्रदान कर दी।
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पड़दायत राजा की उप पत्नि को कहते हैं। पडदायत किसी भी जाति की हो सकती थी, उसे पावों में सोने का गहना पहनाकर अपनीउप पत्नी बुना देते थे। गुलाबराय पासवान जाट जाति की थी उसने जालोर में स्वतंत्र सरकार की स्थापना की। जालोर का शासन सूत्र संभालने वाली यह दूसरी महिला शासक थी । इससे पहले बीसल देव चौहान की रानी पोपाबाई जालोर की कुछ काल के लिए शासक रही थी। 16 अप्रेल 1792 को राजपूत सरदारों ने पासवान गुलाब राय की हत्या कर दी अपनी प्रिय उप पत्नि की हत्या के रंज से दुखी होकर महाराज विजय सिंह की सात जुलाई 1793 को मृत्यु हो गई । विजय सिंह अपने छोटे पुत्र गुमान सिंह के पुत्र मानसिंह को जोधपुर का उतरा अधिकारी बनाना चाहते थे। क्योंकि मानसिंह गुलाबराय को विशेष प्रिय थे, जबकि राजपूत सरदार विजय सिंह के पोत्र भीमसिंह को राजा बनाना चाहते थे। उतराधिकारी के सवाल पर ही गुलाबराय की हत्या की गई थी। गुलाब राय के स्नेह के कारण ही मान सिंह को जालोर परगना जागीर में दिया गया था। गुलाबराय के संरक्षण में ही मानसिंह जालोर दुर्ग पर सुरक्षित रहा,
जबकि भीमसिंह की सेना ने दस वर्ष तक जालोर का किला घेर कर रखा तब जालोर नगर पर भीमसिंह का अधिकार था, जबकि मानसिंह केवल जालोर किलें पर ही अधिकार रखता था।
पहले करते दर्शन
और आज भी यहां पर एक मंदिर आकर्षण का केंद्र के रूप में जालोर दुर्ग के नीचे एक मंदिर सदर बाजार में आज भी बना हुआ है । जिसे हर साल की भांति इस वर्ष आज भी परम्परा के अनुसार जालौर में बने धनश्याम जी का मंदिर से इलोजी की बारात निकलने से पहले यहां पर दर्शन करने के बाद में ही निकलती है । यहां पर मान्यता है कि बारात पहले घनश्याम जी के दर्शन करने के बाद ही शोभा यात्रा निकाली जाती है यहां परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसको को आज भी यहां के लोग निभाते आ रहे हैं । तथा आज 24 मार्च 2024 का दिन है तथा आज शौभायात्रा निकाली जाएगी और आपको आज का वीडियो कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं गए।
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