पूरे नौ दिन के होंगे नवरात्र, हर दिन मनेगा त्योहार , अभिजीत मुहूर्त में होगी घट स्थापना
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पूरे नौ दिन के होंगे नवरात्र, हर दिन मनेगा त्योहार , अभिजीत मुहूर्त में होगी घट स्थापना
जयपुर ( 7 अप्रैल 2024 ) Chaitra Navratri 2024 Ghatasthapana Muhurat: पांच साल बाद चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना सुबह नहीं बल्कि दोपहर के अभिजीत मुहूर्त में होगी. 9 अप्रैल को देवी आराधना के लिए घट स्थापना होगी. इसके साथ ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नवसंवत्सर-2081 कालयुक्त संवत्सर की भी शुरुआत होगी. आमेर स्थित शिला माता मंदिर में भी दोपहर 12.05 बजे अभिजीत मुहूर्त में ही घटस्थापना होगी.
चैत्र नवरात्रि इस बार मंगलवार 9 अप्रैल से शुरू होकर बुधवार 17 अप्रैल को पूर्ण होंगे. नवरात्र में माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व है. ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि नवरात्रि में घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा. शास्त्रानुसार देवी आराधना के लिए घटस्थापना और पूजा के लिए सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ बताया है, लेकिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग हो तो उन्हें टालकर घटस्थापना करनी होती है. यदि दोपहर तक का समय इससे प्रभावित हो अभिजित मुहूर्त में ही घटस्थापना की जानी चाहिए.
ऐसे में इस बार वैधृति योग दोपहर बाद 2.18 बजे तक है. इस कारण घटस्थापना दोपहर 12.04 बजे से 12.54 बजे मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में ही सर्वश्रेष्ठ रहेगी. घटस्थापना के लिए 50 मिनट का मुहूर्त रहेगा. उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पहले ही दिन तीन राजयोग रहेंगे. देवी का आगमन अश्व पर होगा और प्रस्थान हाथी पर होगा. हालांकि चैत्र नवरात्रि के शुरुआत के पांच दिनों तक खरमास का साया रहेगा. ऐसे में 9 अप्रैल से 13 अप्रैल तक मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी. खरमास खत्म होने के बाद मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे.
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 9 अप्रेल को भारतीय नव संवत्सर 2081 का आगाज होगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि, कुमार योग और अमृतसिद्धि योग और रेवती व अश्वनी नक्षत्र में वासंती नवरात्र भी शुरू होंगे। मध्याह्न में अभिजीत मुहूर्त घर और मंदिरों में घट स्थापना होगी। वहीं मंदिरों में रामचरितमानस व दुर्गाशप्तशती के पाठ शुरू होंगे। नवरात्र में 9 दिन शुभ संयोग रहेंगे, जो खुशहाली लेकर आएंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. अक्षय शास्त्री ने बताया कि चैत्र माह के वसंत नवरात्र की शुरुआत मंगलवार को हो रही है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना होगी। इस बार पूरे नौ दिन के नवरात्र होंगे। ज्योतिषाचार्य शास्त्री ने बताया कि नवसंवत्सर इस बार मंगलवार से शुरू हो रहे है। मंगल पराक्रमी व क्रूर ग्रह माना जाता है। मंगल साहस, पराक्रम, सेना, प्रशासन, सिद्धांत आदि के कारक ग्रह हैं। इसके कारण पूरा वर्ष उथल-पुथल का रहेगा।
नवरात्र के 9 दिन, व्रत—पर्व भी
— 9 अप्रेल: प्रथम नवरात्र, नवरात्र स्थापना, बसंत नवरात्र प्रारंभ, घट स्थापना, शैलपुत्री का पूजन
—10 अप्रेल: द्वितीय नवरात्र, सिंजाजा, चेटीचण्ड, झूलेलाल जयंती, ब्रह्मचारिणी का पूजन
— 11 अप्रेल: तृतीय नवरात्र, गणगौर पूजन, मेला गणगौर, चन्द्रघण्टा का पूजन
— 12 अप्रेल: चतुर्थ नवरात्र, मेला बूढ़ी गणगौर, कुष्माण्डा का पूजन
— 13 अप्रेल: पंचम नवरात्र, श्री-लक्ष्मी पंचमी, स्कन्दमाता का पूजन
— 14 अप्रेल: षष्ठ नवरात्र, यमुना जयंती, कात्यायनी का पूजन
— 15 अप्रेल: सप्तम नवरात्र, कालरात्रि का पूजन
— 16 अप्रेल: अष्टम नवरात्र, दुर्गाष्टमी, महाष्टमी, महागौरी का पूजन
17 अप्रेल: नवम नवरात्र, श्री राम नवमी, नवरात्र पूर्ण, सिद्धिदात्री का पूजन
— 18 अप्रेल: नवरात्र व्रत पारणा व उत्थापन
घोड़े पर सवार होकर आ रही मां दुर्गा,
अतिफलदायक होगा वर्षयह दिन संयोग बस बहुत खास माना जाता है .उन्होंने कहा सबसे बड़ी बात मां दुर्गा इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं जिससे हम सभी जीव जंतुओं के साथ किसान लिए काफी लाभकारी साबित होगा और किसान भाईयों की उपज और फसल भी अच्छे होंगे. उन्होंने कहा माँ की पूजा और उनके आशीर्वाद आसानी से प्राप्त होंगे.
इस दिन पड़ेगा महाष्टमी का व्रतइस बार चैत्र नवरात्र में महाअष्टमी का व्रत 16 अप्रैल को मनाया जाएगा और 17 अप्रैल को महानवमी व्रत मनाया जाएगा. 18 अप्रैल को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा. पंडित जी कहते हैं कि महानवमी का व्रत और रामनवमी व्रत दोनों एक दिन होने के कारण यह चैत्र माह नवरात्रि लोगों के लिए विशेष फलदायक रहेगा.
चैत्र नवरात्रि घट स्थापना या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
मंगलवार 9 अप्रैल में सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक पंचक रहने वाला है। इसके बाद ही घट स्थापना करना शुभ रहेगा। इसलिए इससे पहले घट स्थापना (कलश स्थापना) न करें। वहीं, इसके बाद 9 बजकर 11 मिनट तक अशुभ चौघड़िया रहने वाला है। इसलिए घट स्थापना के लिए इस समय का भी त्याग करें। इसके बाद शुभ चौघड़िया 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक है। इस दौरान आप चाहें तो घट स्थापना कर सकते हैं। वैसे घटस्थापना सर्वोत्तम मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। यह समय अभिजीत मुहूर्त कहलाएगा। अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना या घट स्थापना करना शुभ माना गया है। इस समय वैघृत योग और अश्विनी नक्षत्र का भी संयोग रहने से नवरात्रि पूजा के लिए संकल्प लेना घटस्थापना, अखंड दीपक का संकल्प लेना आदि कर्म करना उत्तम और शुभ फलदायी होगा।
घटस्थापना में रखें इन बातों का विशेष ख्याल
शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें। वहां, पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ही कलश की स्थापना करें।
कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।
घटस्थापना के समय इन बातों का रखें ध्यान: पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने घटस्थापना को लेकर भी खास जानकारियां दी. उन्होंने बताया कि गौरी, गणेश, नवग्रह षोडश मातृका बना कर पूजा की शुरुआत करें. इसके लिए कलश तैयार करके अपने देश काल का ध्यान करते हुए संकल्प के साथ ही गौरी गणेश की पूजा करें. इसके बाद घटस्थापना करें.
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