जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव बोरली कांग्रेस ने की थी लोकतंत्र की हत्या - नारायणसिंह देवल- SANCHORE NEWS
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आपातकाल गवाह हैं, कांग्रेस सत्ता की भूखी हैं - भाजपा - Emergency is witness to the fact that Congress is power hungry - BJP
सांचौर ( 25 जुन 2024 ) SANCHORE NEWS भारतीय जनता पार्टी सांचौर विधानसभा द्वारा आपतकाल दिवस को भाजपा जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव एवम रानीवाड़ा पूर्व विधायक नारायणसिह देवल के आतिथ्य में विवेकानंद सर्कल पर मनाया गया, जिसमें विवेकानंद सर्कल से कलेक्टर ऑफिस तक पैदल मार्च निकाला गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव बोरली ने बताया की 25 जून को ही भारतीय इतिहास के सर्वाधिक विवादास्पद फैसले का ऐलान किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी की सलाह पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने 25 जून, 1975 अर्धरात्री में भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी। आजादी के बाद भारतीय इतिहास में इस फैसले को काफी विवादास्पद माना जाता है।
आपातकाल लागू होते ही आतरिक सुरक्षा कानून के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी की गई। इनमें जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नाडीज और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे।
रानीवाड़ा पूर्व विधायक नारायणसिंह देवल ने कहा की इस आपातकाल के बीज 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में ही पड़े थे, जब इंदिरा गाधी ने प्रतिद्वंद्वी राज नारायण को हराया था। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद राज नारायण ने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। उनकी दलील थी कि इंदिरा गाधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया।
अदालत ने इन आरोपों को सही पाया। न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा ने साहसी निर्णय देते हुए इंदिरा गांधी के निर्वाचन को निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इंदिरा गांधी सर्वाेच्च न्यायालय में चली गयीं। वहां से उन्हें इस शर्त पर स्थगन मिला कि वे संसद में तो जा सकती हैं; पर बहस और मतदान में भाग नहीं ले सकतीं। उन्होंने त्यागपत्र देने की बजाय आंतरिक उपद्रव से निबटने के नाम पर आपातकाल लगा दिया। राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद मचे ने 25 जून, 1975 की रात में कागजों पर हस्ताक्षर कर दिये। आज ही के दिन भारत ने मुश्किल से हासिल की गई अपनी आजादी एक झटके में गंवा दी थी।
पूरा देश कांग्रेसी इमर्जन्सी की तानाशाही की गिरफ्त में आ गया; पर समय सदा एक सा नहीं रहता। धीरे-धीरे लोग आतंक से उबरने लगे। संघ द्वारा भूमिगत रूप से किये जा रहे प्रयास रंग लाने लगे। लोगों का आक्रोश फूटने लगा। आपातकाल और प्रतिबन्ध के विरुद्ध हुए सत्याग्रह में एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने गिरफ्तारी दी। लोकतन्त्र की इस हत्या के विरुद्ध विदेशों में भी लोग इंदिरा गांधी से प्रश्न पूछने लगे।
इससे इंदिरा गांधी पर दबाव पड़ा। उसके गुप्तचरों ने सूचना दी कि देश में सर्वत्र शांति हैं और चुनाव में आपकी जीत सुनिश्चित है। इस भ्रम में इंदिरा गांधी ने चुनाव घोषित कर दिये; पर यह दांव उल्टा पड़ा। चुनाव में उसकी पराजय हुई और दिल्ली में जनता पार्टी की सरकार बन गयी। मां और पुत्र दोनों चुनाव हार गये। इस शासन ने वे सब असंवैधानिक संशोधन निरस्त कर दिये, जिन्होंने प्रधानमंत्री को न्यायालय से भी बड़ा बना दिया था। इस प्रकार इंदिरा गांधी की तानाशाही समाप्त होकर देश में लोकतन्त्र की पुनर्स्थापना हुई।
इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव, बोरली रानीवाड़ा पूर्व विधायक नारायणसिंह देवल, प्रदेश चिकित्सा प्रकोष्ठ सह संयोजक डां शीला विश्नोई, देवराज चौधरी जिला मिडिया प्रभारी भावेश सोनी, काला दिवस विधानसभा संयोजक अमराराम देवासी,मंडल अध्यक्ष शंभूसिंह राव, अर्जुनसिंह सरवाना, सांवलाराम माली, तुलसाराम मांजु रिडमलल सिंह डांबी किसान मोर्चा जिला उपाध्यक्ष पहाड़सिंह राव बोरली मंडल महामंत्री गजेंद्र सिंह कारोला , नरेंगाराम चौधरी जोधावास भवानी सिंह चौहान मांगीलाल दर्जी, विक्रम ग्वारिया गंगदाराम चौधरी ओबीसी मोर्चा जिला मंत्री दुर्गाराम बेनीवाल, गोविंद पुरोहित, भूराराम दर्जी, सायब खा,मोडाराम बुनकर शांतिलाल मेघवाल भरत जीनगर , डूंगर सिंह कारोला पदमाराम चौधरी, राणाराम पुरोहित, विष्णुदास, बंशीदास, नानजीराम बुनकर अमराराम चौधरी नरेश पुरोहित पूराराम चौधरी श्रवण जीनगर, वनाराम भील नरपत सिंह राव गणपत सिंह राव, सहित भाजपा कार्यकता उपस्थित रहे ।
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