घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, युद्ध-प्राकृतिक आपदा के संकेत, गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें देवी को प्रसन्न
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घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, युद्ध-प्राकृतिक आपदा के संकेत, गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें देवी को प्रसन्न
जालौर ( 24 जून 2024 ) आषाढ़ मास शुरू हो चुका है. इस महीने के शुक्ल पक्ष में भी नवरात्रि पड़ती है जिसे लोग गुप्त नवरात्रि कहते हैं. गुप्त इसलिए क्योंकि इसका चैत्र या क्वांर की नवरात्रि की तरह पूजन नहीं होता. इस बार गुप्त नवरात्रि अगले महीने जुलाई में पड़ रही है.
इस साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा शनिवार दिनांक 6 जुलाई को है. इसका शुभ मुहूर्त सुबह 07.37 से 09.19 बजे तक और फिर दोपहर 12.15 से 01.10 बजे तक है. अभिजीत वेला में पूजन और घटस्थापना करना श्रेष्ठ है.
घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां
ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं, इस बार गुप्त नवरात्रि में भगवती मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. इससे देश दुनिया में प्राकृतिक आपदा, युद्ध और सत्ता परिवर्तन के संकेत हैं.
पति को बनाएं गुरु
नवरात्रि महोत्सव भारत के विविध प्रांतों में विविध प्रकार से मनाया जाता हैं. सबका उद्देश्य एक ही है. मां को प्रसन्न कर फल प्राप्त करना. नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व यह है कि दिन के समय मनुष्य की इन्द्रियाँ व्यस्त रहती हैं और रात्रि के समय व्यक्ति शांत वातावरण में एवं किसी भी प्रकार के व्यवधान के बिना देवी की आराधना, जप एवं एकाग्रता पूर्वक ध्यान करके माँ दुर्गा की उपासना कर सकता है. इस कारण ही नवरात्रि का तात्पर्य 9 रात्रि से है. शास्त्रों में लिखा है \”स्त्रीणां पतिरेव गुरुणाम्\” स्त्रियों को अपने पति को ही गुरु बनाना चाहिए.
नवरात्रि में कन्या-पूजन का महत्व
नवरात्रि में विशेषकर अष्टमी एवं नवमी के दिन सनातनधर्मी कन्याओं का पूजन करते हैं. कन्याओं को आसन या बाजोट पर बैठाकर इष्ट देवी के स्वरूप मानकर विधि- विधान से पूजा करते हैं. स्त्रीय: समस्तास्तव देवी! भेदा: इस सिद्धांत के अनुसार समस्त नारियों को देवी का स्वरूप कहा गया है. इसलिए हमें सभी नारियों का सम्मान करना चाहिए.
देवी-पूजा के नियम ध्यान से सुनें
शास्त्रों में लिखा है-‘विश्वासों फलदायकः’ विश्वास के साथ किया गया कार्य ही फल प्रदान करता हैं.
1. देवी को उत्तराभिमुखी नहीं बैठाना चाहिए.
2. माताजी के दाहिनी तरफ काल भैरव का पूजन करें और बायीं ओर गौर भैरव का पूजन करना चाहिए.
3. माताजी के दाहिनी तरफ घी का पूजन करें और बायीं ओर तिली के तेल का दीपक करना चाहिए.
4. देवी की आराधना, व्रत एवं नवचण्डी यज्ञ करने से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं.
5. इस दिन देवी के मन्दिर में सुगंधित पुष्पमाला-पुष्प एवं पान चढ़ाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है.
(Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.).
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