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मुख्यपृष्ठ History महाराणा प्रताप जयंती विशेष कवरेज : जालोर में महाराणा प्रताप स्कूल से कैसे पड़ा और नाम कैसे गायब हुआ
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महाराणा प्रताप जयंती विशेष कवरेज : जालोर में महाराणा प्रताप स्कूल से कैसे पड़ा और नाम कैसे गायब हुआ

महाराणा प्रताप जयंती विशेष कवरेज : जालोर में महाराणा प्रताप स्कूल से कैसे पड़ा और नाम कैसे गायब हुआ , महाराणा प्रताप को लेकर उठी है मांग जालोर में
Shravan Kumar
Shravan Kumar
08 जून, 2024 0 0
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 महाराणा प्रताप जयंती विशेष कवरेज : जालोर में महाराणा प्रताप स्कूल से कैसे पड़ा और नाम कैसे गायब हुआ 

Maharana-Pratap-Jayanti-Special-Coverage-How-Maharana-Pratap-School-in-Jalore-got-its-name-and-how-it-disappeared

जालौर ( 9 जुन 2024 ) जैसे कि आप सभी को मालूम है कि आज महाराणा प्रताप की जयंती पुरे भारत वर्ष में मनाया जाएगी। परन्तु आपको इसकी जानकारी नहीं होंगी कि जालोर शहर में भी महाराणा प्रताप स्कूल मौजूद हैं। और कभी महाराणा प्रताप के नानिहाल पक्ष वाले भी राज क्या करता था। वर्तमान में प्रताप चौक स्थित बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय का नाम महाराणा राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय हुआ करता था। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसके कारण से इतिहास के पन्नों में आज भी महाराणा प्रताप का ननिहाल जालोर में दर्शाया जा रहा है। इस विद्यालय के नाम से ही चौक का नाम शहर में महाराणा प्रताप के नाम से जाना जाता है। ऐसे में युवा पीढ़ी के लिए यह स्थल प्रेरणादायी है । जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

युवा पीढ़ी भूल रही प्रताप का वैभव

शहर की युवा पीढ़ी में अधिकांश को महाराणा प्रताप से जुड़े जालोर के इतिहास के बारे में जानकारी तक नहीं है। जब जालोर न्यूज़ चैनल की टीम ने जांच पड़ताल शुरू किया गया तब प्रताप चौक में रहने वाले अधिकांश परिवारों को भी इस विद्यालय का पुराना नाम पता ही नहीं है। 

इसका मुख्य कारण यहां पर है कि विभागीय कार्रवाई और गतिविधियों में भी बालिका विद्यालय का नाम आगे आने के कारण युवा पीढ़ी प्रताप के इस वैभव को भूलती जा रही है। परन्तु पहले के समय में महाराणा प्रताप के नाम से शुरू हुए शहर के प्रताप चौक स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के नाम से वर्तमान में पहचान जाता है । जिसके कारण से महाराणा प्रताप स्कूल का नाम से लेकर इतिहास तक खोया गई है। और इसी विद्यालय के पुराने नाम से चौक का नामकरण हुआ था , परंतु लेकिन मौजूदा समय में विद्यालय क्रमोन्नत होने के बाद इसका मूल नाम ही हटा दिया गया है ‌।







जालोर में था महाराणा प्रताप का ननिहाल

प्राचीन काल में जालोर को जाबालिपुरा के नाम से जाना जाता था - जिसका नाम एक संत के नाम पर पड़ा था। इस शहर को सुवर्णगिरि या सोनगीर, स्वर्ण पर्वत के नाम से भी जाना जाता था, जिस पर किला खड़ा है।

कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार 8वीं-9वीं शताब्दी में   जबलीपुर (जालौर) में गुर्जर प्रतिहारों की एक शाखा शासन कर रही थी। 

यह 8वीं शताब्दी में एक समृद्ध शहर था। 10वीं शताब्दी में जालोर पर परमारों का शासन था। नाडोल के शासक अलहाना के सबसे छोटे बेटे कीर्तिपाल ने  जालोर में चौहान वंश की स्थापना की । उन्होंने 1181 में इसे परमारों से छीन लिया और इस स्थान के नाम पर अपना वंश नाम  सोनगरा रख लिया । उनके बेटे समरसिंह ने 1182 में उनका उत्तराधिकार संभाला। उदयसिंह अगले शासक थे जिनके अधीन जालोर का स्वर्णिम काल रहा। वह एक शक्तिशाली और योग्य शासक थे जिन्होंने एक बड़े क्षेत्र पर शासन किया। उन्होंने मुसलमानों से नाडोल और मंडोर को वापस ले लिया। 1228 में इल्तुतमिश ने जालोर पर आक्रमण किया गया लेकिन उदयसिंह ने उसे हरा दिया ।

अधिक समय तक सोनगरा चौहान ने राज किया था। जिसके कारण से यहां पता चला है कि यहां से उठकर पाली में बसा होंगे। और जालौर महाराणा प्रताप 1552-  1597 की समय की बात है मां जयवंता बाई का गृहनगर था । 

वहां अखेराज सोनगरा की बेटी थी। रतलाम के राठोड़ शासकों ने अपने खजाने की सुरक्षित रखने के लिए जालोर किला का इतिमाल किया गया था। मध्य समय में लगभग 1690 जालोर के शाही परिवार यदु चंद्रवंशी भाटी राजपूत के अनुसार जैसलमेर से जालोर आया था और अपने राज्य बनाई हैं। वहीं उम्मेदाबाद के स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें नाथजी ठाकारों के नाम से भी जाना जाता है। जालौर उनमें से एक दूसरी राजधानी है। पहली राजधानी जोधपुर थी। बताया है कि अभी भी जालौर के पुर्वजों के शाही परिवार से भाटी सरदार की छतरी मौजूद हैं उन्होंने ने अपने समय में पुरे जालोर जोधपुर पर शासन किया था। मुगलों के बाद उनके पास केवल उम्मेदाबाद बचा था। वहीं किसी समय महाराणा प्रताप जालोर आएं होगा जिसके कारण से इसका नाम महाराणा प्रताप पड़ा है।

कैसे पड़ा महाराणा प्रताप स्कूल 

जालौर में महाराणा प्रताप चौक के नाम से जाना जाता है। किसी समय में यहां पर महाराणा प्रताप यहां पर आया था। मगर हम बात करें नानिहाल पक्ष की तो भी वहां सोनगरा चौहान नाम से तालूक रखते है। इतिहासकार के अनुसार महाराणा प्रताप के नानिहाल पक्ष वाले भी जालोर से ही पली गए । जिसें कारण से इस स्थान को महाराणा प्रताप रखा गया है ।

जिसका उदहारण जालोर जिले मुख्यालय पर एक छतरी चबूतरा मौजूद हैं। और प्रताप चौक में एक विघालय बना हुए हैं वहां पर वर्तमान में विद्यालय के दीवार पर शिलालेख का लिखा हुआ है और उस पर 1959 सन् लिखा हुआ है ‌। जिससे इस बात का पता लगता है कि महाराणा प्रताप स्कूल के नाम से शिलालेख से इसका पुराना नाम महाराणा प्रताप स्कूल हैं ‌। और उसका नाम आजादी के समय में महाराणा प्रताप विघालय हुआ करता था। वहीं अब राजनेताओं के अभावों में और आजादी के बाद में समय - समय पर इसका नाम को लेकर बदलने की मांग उठाती रही है । परन्तु वर्तमान में कागज़ों में दफन कर दिया गया है । जालोर का इतिहास वहीं पुराने सरकारी दस्तावेज में आज भी इसका नाम महाराणा प्रताप स्कूल के नाम जाना जाता है। परन्तु बड़े बड़े राजनेताओं के कारणों से इस प्रताप चौक का इतिहास ही गायब कर दिया गया है। परंतु पहले समय में महाराणा प्रताप चौक का नाम भी गर्व से लिया जाता था। और राजनेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए जालोर के इतिहास को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जोकि वर्तमान में प्रताप चौक स्कूल बना हुआ है। वहां जोकि इस विडियो में स्कूल की तस्वीर दिखाई जा रही है । वहां आजादी के समय में स्कूल का शिलान्यास किया गया है। वहीं सन् 1990 तक महाराणा प्रताप स्कूल रहा है । और बाद में नाम बदलकर इसका नाम राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय रखा गया था। यहां तक कि अब 1996 में इसका नाम भी गायब कर दिया गया है।

इनका कहना है कि 












भंवर राव जालौर प्रताप चौक निवासी ने जालोर न्यूज़ चैनल को बताया कि मैं यहां का मूल निवासी हूं और मेरा बचपन भी यहां पर बीता है यहां तक मैंने पढ़ाई भी इसी स्कूल में किया है। पहले यहां स्कूल 5 वीं तक थीं उस समय में इस स्कूल का नाम महाराणा प्रताप स्कूल हुआं करता था परन्तु मेरे जानकारी में नहीं है कि इस स्कूल का नाम महाराणा प्रताप कैसे पड़ा है। परंतु मुझे इतना जरूर पता है कि यहां स्कूल बहुत पुरानी स्कूल है। मेरी उम्र लगभग 80 वर्ष के आसपास होगी है परंतु मुझे इसका बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। और प्रताप चौक में चबूतरा बना हुआ है वहां भी स्कूल के नाम से भामाशाह द्वारा चबूतरा प्रताप चौक के नाम से बनाया गया था। और सबसे खास बात यहां है कि सबसे पहले माली समाज द्वारा तीन दिवसीय का गैर नृत्य आयोजित किया जाता था। परन्तु वर्तमान में अब यहां पर गैर नृत्य बंद कर दी गई है। और यहां पर मेरे देखनी में गैर नृत्य तीन दिन तक खेला जाता था परन्तु वर्तमान में यहां पर गैर नृत्य लुप्त हो गई है । 





 परंतु वर्तमान में जालौर के चारों ओर परकोटा बना हुआ था। जिसमें गैर नृत्य आयोजित किया जाता था । परन्तु अब परकोटा के अन्दर नहीं गैर खेलकर और परकोटा के बाहर गैर नृत्य का आयोजन किया जाता है। और अब भी गैर नृत्य का आयोजन होता है परन्तु वर्तमान में परकोटा के बडी पोल के नाम से पोल पहचान जातीं हैं। वहां पर भक्त प्रह्लाद चौक में आयोजित होती है। गैर नृत्य का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। आज दिनांक 9 जुन 2024 है और सभी जगहों पर आज महाराणा प्रताप जयंती मनाई जाएगी।

इनका कहना है कि 

जालौर महाराणा प्रताप के नाम से प्रताप चौक में भव्य महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाई जाए। स्थानीय लोगों द्वारा प्रताप चौक में महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाने की मांग कई बार मांग उठी है । जिसको जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई तवज्जा नहीं दी गई।वही देखा जाए तो जालौर शहर में मात्र वीर वीरमदेव चौक में वीर वीरमदेव की प्रतिमा ही लगी हुई है। क्योंकि महाराणा प्रताप का ननिहाल जालौर में था उसको लेकर प्रताप चौक में महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा लगाई जाए, जिससे महाराणा प्रताप का जालौर से किया संबंध क्या रहा उसका शिलालेख भी लिखकर चौक में लगाया जाए ताकि आने वाले पर्यटकों को और जालौर शहर के लोगों के द्वारा यहां के स्थानीय लोगों को द्वारा समय - समय पर मांग भी उठा गए हैं और यहां पर शिलालेख भी लिखकर लगाया जाए जिससे ताकि महाराणा प्रताप के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिले सकें।




इनका कहना है कि जब जालोर न्यूज़ चैनल टीम ने वहां के स्थानीय लोगों से रू-ब-रू हुए और वहां के स्थानीय लोगों से बात किया गया थीं। तब बताया कि एक नंबर पर जालौर नगर परिषद् उपसभापति अम्बालाल व्यास और जालोर नगर परिषद् वार्ड पार्षद दिनेश बारोट स्थानीय निवासी ने क्या कहा आइये सुनते हैं उनकी जुबानी कहानी क्या कहा


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