13 दिवसीय पक्ष में प्रकृति करेगी तांडव - शास्त्री - BHINMAL NEWS
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13 दिवसीय पक्ष में प्रकृति करेगी तांडव - शास्त्री - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 14 जुन 2024 ) BHINMAL NEWS इस वर्ष आषाढ़ कृष्ण पक्ष 23 जून से 5 जुलाई तक 13 दिवसीय पक्ष रहेगा । शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि ऐसा संयोग द्वापर युग के महाभारत काल में था ।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल संवत् 2081 में आषाढ़ कृष्ण पक्ष केवल 13 दिन का है। ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्योंग काल माना जा रहा है। ऐसा संयोग महाभारत काल में पड़ा था। इस साल दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इस पक्ष में दो तिथियां प्रतिपदा और चतुर्दशी का क्षय हो रहा है, इसलिए यह कृष्ण पक्ष केवल 13 दिनों का होगा। ऐसा संयोग बहुत सालों में आता है। इसे "विश्व घस्र" पक्ष कहते हैं। यह बहुत बड़ा दुर्योग है, महाभारत युद्ध के पहले 13 दिन के पक्ष का दुर्योग काल आया था। उस समय बड़ी जनधन हानि हुई थी। घनघोर युद्ध हुआ था।
पक्षस्य_मध्ये_द्वितिथि_पतेतां_यदा_भवेद्रौरव_काल_योगः।
पक्षे_विनष्टं_सकलं_विनष्ट_मित्याहुराचार्यवराः_समस्ताः
एकपक्षे_यदा_यान्ति_तिथियश्चत्रयोदश।
त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गज:।।
त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरेत जगत् ।
अपि_वर्षे_सहस्रेण_कालयोग_प्रकीर्तित:।।
अर्थात आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दिन का होने से पृथ्वी पर जनहानि युद्ध की संभावना होती है । जिस वर्ष 13 दिन का पक्ष होता है, उस वर्ष संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है । विशेष कर द्वितीया तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि पर्यंत अगर दो तिथि का क्षय हो तो विशेष रूप से संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है ।
शास्त्री ने बताया कि यह "रौरव काल" संज्ञक दुर्योग होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अच्छा नहीं माना गया है। ऐसा दुर्योग होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि समस्त प्रकृति को पीड़ित करने वाला यह दुर्योग संक्रामक रोगों की भी वृद्धि कर सकता है। शीघ्र बोध में लिखा है कि
एकपक्षे यदा यान्ति तिथयश्च त्रयोदश ।
त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गजाः ।।
जो एक पक्ष में तेरह तिथियाँ हो, तो हाथी, घोड़े और मनुष्य तीनों का नाश हो। 23 जून से 05 जुलाई के मध्य हिंसा, सत्ता परिवर्तन, उन्माद, युद्ध, दंगे एवं प्रसिद्ध व्यक्तियों का मृत्यु की प्रबल सम्भावना है । क्योंकि मेदीनीय क्षितिज पर ग्रहस्थिति के साथ उपरोक्त पक्ष 13 दिन का रहेगा ।
यदा च जायते पक्षस्त्रयोदश दिनात्मकः।
भवेल्लोक क्षयो-घोरो रुण्डमुण्डमालायुता मही।।
त्रयोदशदिनः पक्षो भवेद् वर्षाष्टकान्तरे।
देवतदा नगरभंग: स्यात् छत्रभंगो महर्घता।
इस त्रयोदश दिनात्मक पक्ष के प्रभावस्वरूप विश्व एवं भारत में राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियां अस्थिर एवं अशान्तिपूर्ण होंगी। राजनैतिक पार्टियों के मध्य विग्रह, टकराव एवं बिखराव पैदा होंगे। कहीं तोड़-फोड़, हिंसा, विस्फोटक घटनाएँ एवं छत्रभंग की आशंका होगी। कहीं भयंकर युद्ध का वातावरण बनने से अशान्ति बने तथा कहीं भूकम्प, करने (दुर्भिक्ष, भूस्खलन आदि प्राकृतिक प्रकोपों से भारी जन-धन हानि के योग बनते हैं। दैनिक उपभोग्य की वस्तुओं में ज़बरदस्त तेजी होगी। किसी प्रमुख व्यक्ति के निधन से समाज में शोक एवं विस्मय उत्पन्न हो सकता है।
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