आर्य समाज द्वारा श्रावणी पर्व का कार्यक्रम शनिवार को, पहली बार जालोर आएंगे स्वामी ओमानन्द सरसती , यहां कौन है जाने
आर्य समाज द्वारा श्रावणी पर्व का कार्यक्रम शनिवार को, जालोर आएंगे स्वामी ओमानन्द सरसती , यहां कौन है जाने Arya-Samaj-to-organize-Shravani-festival-on-Saturday-Swami-Omanand-Saraswati-to-come-to-Jalore-for-the-first-time
जालोर ( 30 अगस्त 2024 ) आर्य वीर दल एवं आर्य समाज द्वारा श्रावणी पर्व का कार्यक्रम पुरानी सब्जी मंडी स्थित आर्य वीरम व्यायाम शाला में श्रावणी पर्व का कार्यक्रम शनिवार को शाम् 5 बजे मनाया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर्ष गुरुकुल आबू पर्वत के अधिष्ठाता स्वामी ओमानन्द सरसती होंगे।
आर्य वीर दल के महामंत्री शिवदत्त आर्य ने बताया कि स्वामी ओमानंद सरस्वती का पूर्व नाम ओम प्रकाश आर्य था। हाल ही में सन्यास लिया है। आबू पर्वत पर गुरुकुल का संचालन कर रहे हैं। उनके संन्यास दीक्षा के बाद वे पहले बार जालौर आ रहे हैं। दोनो संगठन की ओर से उनका स्वागत किया जायेगा। बाद् मे उनके प्रवचन होंगे। तत्पश्चात बाद मे वार्षिक कार्यक्रम श्रावणी पर्व के उपलक्ष "भारत की आजादी के आंदोलन मे आर्य समाज ओर" भूमिका विषय पर संगोष्ठी होगी।_
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स्वामी ओमानंद सरस्वती का संक्षिप्त जीवन परिचय
पूर्ण नाम – आचार्य ब्रह्मचारी ओम्प्रकाश आर्य
जन्म दिनांक - 19-05-1976 (उन्नीस मई उन्नीस सौ छिहत्तर)
जन्म स्थान - ग्राम एवं तहसील - शंखेश्वर, जिला- पाटण, गुजरात
पितृ नाम - श्रीमान् खोडाभाई आर्य, मातृ नाम - श्रीमती राजीबेन
गृह परिचय –
आपके पूज्य पिता जी सन् 1970 में अहमदाबाद स्थित घीकांठा साइन्स कालेज में अध्ययन करते हुए आर्य समाज अहमदाबाद के सदस्य बनें, तभी से सम्पूर्ण परिवार वैदिकधर्म व आर्यसमाज के प्रति निष्ठावान् है ।
परिवार में समय-समय पर अनेक आर्य संन्यासी, विद्वान् व भजनोपदेशक पधारते रहे हैं, जिनमें सर्व श्री यशःशेष पूज्य स्वामी धर्मानन्द जी सरस्वती आबूपर्वत, वीरता की प्रतिमूर्ति स्व. पूज्य स्वामी रामेश्वरानन्द जी (पूर्व सांसद, गुरुकुल घरौन्डा), स्मृति शेष पूज्य आचार्य सत्यानन्द जी वेदवागीश, वैदिक प्रवक्ता श्रद्धेय आचार्य आर्य नरेश जी हिमाचल प्रदेश, पं भूपेन्द्रसिंह जी आदि ।
परिवार में नित्य संध्या, यज्ञ, सत्संग होने के कारण पैतृक परम्परा से बाल्यकाल में ही वैदिक धर्म के प्रति अनन्य श्रद्धा हो गई ।
गुरुकुल प्रवेश –
आपने शंखेश्वर स्थित विद्यालय से ही कक्षा- नवमीं प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर 01-जून-1990 को पूज्य स्वामी धर्मानन्द जी सरस्वती द्वारा स्थापित आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय आबू पर्वत में प्रवेश लिया ।
पूज्य गुरूजन जिनके श्री चरणों में विद्या प्राप्त की आपने डॉ. धर्मवीर जी, पं. भीमसेन जी वेदवागीश, स्वामी चन्द्रवेश जी, आचार्य महिपाल जी आदि विद्वानों से वर्णोच्चारण से लेकर आख्यातिक तक अध्ययन किया ।
मुख्यरुप से पूज्य स्वामी यज्ञानन्द जी सरस्वती से काशिका, महाभाष्य, निरुक्त, योगदर्शन एवं न्यायदर्शन आदि शास्त्रों का सांगोपांग अध्ययन कर विद्या ग्रहण की ।
आचार्य सत्यव्रत जी वेदाचार्य से छन्दःशास्त्र एवं संस्कृत साहित्य के अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया, इस प्रकार ईस्वी सन् 1990 से सन् 2000 (दश वर्ष) तक आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय आबू पर्वत में रहते हुए किसी भी प्रकार के राजकीय शैक्षणिक प्रमाणपत्रों को प्राप्त किये बिना प्राचीन गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार विविध गुरूजनों से विद्यामृत का पान किया ।
अध्यापन कार्य –
आप ईस्वी सन् 2001 से निरन्तर अब तक आर्ष गुरुकुल आबू पर्वत में प्रधानाचार्य के रूप में अवैतनिक सेवाएं देते हुए संस्कृत व्याकरण, साहित्य एवं आर्ष ग्रन्थों के अध्यापन के साथ-साथ गुरुकुल संचालन हेतु आवश्यक व्यवस्थाओं में योगदान दे रहे हैं ।
सामाजिक कार्य -
आप प्रति वर्ष यथा समय राजस्थान, गुजरात आदि प्रान्तों के विभिन्न स्थानों पर यज्ञ, प्रवचन, शिविर एवं वैदिक साहित्य वितरण आदि के माध्यम से वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं ।
दायित्व -
अध्यक्ष एवं आचार्य, आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, आबू पर्वत
प्रधान, आर्य समाज मन्दिर, आबू पर्वत
न्यासी, महर्षि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी परोपकारिणी सभा, अजमेर
न्यासी, महर्षि दयानन्द स्मृति भवन न्यास, जोधपुर
संरक्षक - आर्य वीर दल, राजस्थान
सम्मान एवं अभिनन्दन -
परोपकारिणी सभा अजमेर-2016
मानव सेवा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली- 2017
श्रीमद्दयानन्द आर्ष गुरुकुल, पौन्धा, देहरादून- 2019
आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, होशंगाबाद मध्यप्रदेश - 2022
आदि संस्थाओं से विद्वत् सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए हैं ।
गुरुकुल आबू पर्वत की विशेषताएँ -
आचार्यों द्वारा अध्यापन कार्य, प्रदूषण रहित पर्वतीय सुरम्य वातावरण, पाँच हजार पुस्तकों का उत्तम पुस्तकालय, कम्प्यूटर एवं संगीत शिक्षण की उत्तम व्यवस्था, छात्रों द्वारा संस्कृत सम्भाषण किया जाता है । ग्रीष्मकाल में आर्यवीर दल के शारीरिक एवं बौद्धिक पाठ्यक्रम का ब्रह्मचारियों को प्रशिक्षण, वर्त्तमान में 110 ब्रह्मचारी आर्ष पाठविधि से विद्याध्ययन कर रहे है । गुरुकुल गौशाला में 65 गीर नस्ल की उत्तम गायों का संरक्षण व संवर्धन हो रहा है। इन गायों का दुग्ध छात्रों को निःशुल्क वितरित किया जाता है ।
स्नातक एवं छात्र -
डॉ. अभिमन्यु (एसोसिएट प्रोफेसर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी) श्री कीर्तिचन्द्र शास्त्री (प्रधानाचार्य- आदर्श विद्यालय मन्दिर, मांडवी, कच्छ,) पं. लाभेन्द्र शास्त्री (पौरोहित्य कर्म, अहमदाबाद), श्री सन्दीप शास्त्री, श्री राजेश शास्त्री, डॉ. अशोक शास्त्री, (असि. प्रो. संस्कृत महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, ग्वालियर) डॉ. हंसराज शास्त्री, श्री गोपाल शास्त्री, आचार्य गगेन्द्र शास्त्री, आचार्य सत्यम् शास्त्री (आर्यवीर दल), आचार्य राजेश शास्त्री, आचार्य शिवम् शास्त्री, डॉ. केशरमल शास्त्री, (असि. प्रो. डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर), श्री रामकुमार शास्त्री, ( सहायक आचार्य, राजकीय महाविद्यालय, लसाडिया, उदयपुर), श्री प्रकाश शास्त्री, श्री भावेश शास्त्री, श्री पार्थ शास्त्री, श्री आलोक शास्त्री, श्री सहदेव शास्त्री, श्री सूरज शास्त्री, श्री धर्मेन्द्र शास्त्री, श्री रजनीकान्त आर्य शास्त्री, डॉ. सुभाष शास्त्री (असि. प्रो. कन्या महाविद्यालय, सिरोही), श्री योगेश शास्त्री,
श्री कैलाश शास्त्री, श्री सुरेश शास्त्री, श्री रमेश शास्त्री, श्री विजयपाल शास्त्री, श्री दिनेश शास्त्री, श्री सोमदेव शास्त्री, श्री राकेश शास्त्री, श्री सागर शास्त्री, श्री विशाल शास्त्री, श्री घनश्याम शास्त्री, श्री हरिकेश शास्त्री, श्री महिपाल शास्त्री, श्री मोहित शास्त्री, श्री नवीन आर्य आदि अनेकों स्नातक एवं डॉ. जयवन्त चौधरी (असि. प्रो. कवि कुलगुरु कालिदास विश्वविद्यालय, नागपुर), डॉ. रणजीत झा (प्रवक्ता बोकारो झारखण्ड ), श्री नवीन झा, श्री धीरज जी, श्री सुरेश जी, श्री सावलराम जी, डॉ. रामदयाल जी शास्त्री, श्री चंद्रशेखर जी, श्री राकेश जी विश्नोई, श्री नरेन्द्र जी, श्री मुकेश जी, श्री अर्जुन देव जी अजमेर, श्री रमेश विश्नोई, श्री कानाराम जी, श्री विष्णु जी (शिकारपुरा) श्री लक्ष्मण सांखला (TCS इंजिनियर लंदन), श्री धर्मेन्द्र बेंगलूर, श्री सूरज सोनी, श्री आशु जी (सैनिक), आदि अनेक पूर्व छात्र हैं ।
इस संक्षिप्त सूची में कुछ स्नातक एवं पूर्व छात्र राजकीय सेवा में संलग्न है तथा निजी शिक्षण संस्थानों में सेवारत है, अनेक शोधकार्य (उच्च अध्ययन व पीएच. डी.) कर रहे हैं । गुरुकुल से दीक्षित होकर वैदिक सिद्धान्तों के प्रचारार्थ आर्यसमाज व आर्यवीर दल संगठन में सक्रीय हैं एवं अनेक पूर्व छात्र शिक्षा, खेल, योग, सेना, व्यवसाय, कृषि आदि कार्यों में संलग्न है ।
सम्पर्क सूत्र
आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय
देलवाडा, आबूपर्वत- 307501, जि. सिरोही (राज.)
चलभाष - 9414589510, 8005940943
Email- omaryamtabu@gmail.com
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