जालोर में किसानों का महापड़ाव: जवाई बांध के पानी और बीमा क्लेम पर अडिग, बुजुर्ग किसान की तबीयत बिगड़ी - JALORE NEWS
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जालोर में किसानों का महापड़ाव: जवाई बांध के पानी और बीमा क्लेम पर अडिग, बुजुर्ग किसान की तबीयत बिगड़ी - JALORE NEWS
जालोर ( 30 नवंबर 2024 ) JALORE NEWS जालोर जिला कलेक्ट्रेट के सामने किसानों का महापड़ाव 12वें दिन भी पूरे जोश के साथ जारी है। जवाई बांध के पानी का उचित वितरण और फसल बीमा क्लेम की मांग को लेकर 19 नवंबर से शुरू हुआ यह आंदोलन अब प्रशासन और सरकार के लिए चुनौती बन चुका है। शनिवार को महापड़ाव के दौरान एक बुजुर्ग किसान की तबीयत बिगड़ने की घटना ने आंदोलन को और भावनात्मक बना दिया।
धरना स्थल पर बिगड़ी वागाराम की तबीयत
भीनमाल तहसील के लूर गांव निवासी 70 वर्षीय किसान वागाराम पुत्र नवाराम क्लबी पिछले पांच दिनों से महापड़ाव में भाग ले रहे थे। सर्द मौसम और लगातार खुले में बैठे रहने के कारण उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई। धरना स्थल पर मौजूद अन्य किसानों ने उन्हें संभाला और पानी पिलाने की कोशिश की, लेकिन वागाराम ने असहाय स्वर में कहा, "आप ही पिला दो, मेरे हाथ-पैर काम नहीं कर रहे हैं।"
किसानों ने तुरंत उन्हें वाहन से अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है। डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच में ठंड और थकावट के कारण बुखार होने की बात कही है।
जवाई बांध का पानी और बीमा क्लेम बना आंदोलन का केंद्र
किसानों की मुख्य मांग है कि जवाई बांध के पानी का एक-तिहाई हिस्सा जालोर जिले को सुनिश्चित किया जाए, ताकि यहां के किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें। इसके साथ ही वे फसलों के नुकसान पर समय पर बीमा क्लेम की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।
सरकार पर गंभीर आरोप
अस्पताल ले जाने से पहले वागाराम ने भाजपा सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, "हम किसानों को सिर्फ वोट बैंक समझा जा रहा है। हमारी समस्याओं को सरकार नजरअंदाज कर रही है। जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, मैं और मेरा समुदाय यह महापड़ाव जारी रखेंगे।"
आंदोलन में बढ़ रहा है किसानों का जोश
धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि वागाराम की तबीयत खराब होने के बावजूद उनकी इच्छाशक्ति अडिग है। एक किसान नेता ने कहा, "हमारे बुजुर्ग वागाराम जी ने दिखा दिया कि किसानों का संघर्ष कितना सच्चा और मजबूत है। सरकार को जल्द से जल्द हमारी मांगें माननी होंगी।"
प्रशासन पर दबाव बढ़ा
क्या कहती है सरकार?
अब तक राज्य सरकार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। वहीं, प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में सरकार और किसानों के बीच बातचीत की संभावना है।
जालोर में आंदोलन का असर गहराता जा रहा
महापड़ाव ने न केवल जालोर बल्कि आस-पास के इलाकों के किसानों को भी प्रभावित किया है। यह आंदोलन अब पूरे राजस्थान के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। यह देखना होगा कि सरकार किसानों के इस विरोध को कैसे संभालती है और उनकी मांगों का समाधान कैसे करती है।
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