किसानों का महापड़ाव जारी, जालोर बंद का आह्वान: 30 से अधिक संगठनों का समर्थन, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा - JALORE NEWS
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किसानों का महापड़ाव जारी, जालोर बंद का आह्वान: 30 से अधिक संगठनों का समर्थन, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा - JALORE NEWS
जालोर ( 26 नवंबर 2024 ) जालोर जिले में जवाई बांध के पानी पर हक और किसानों की अन्य मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में चल रहा अनिश्चितकालीन महापड़ाव आज अपने 8वें दिन में प्रवेश कर गया। महापड़ाव को जिले के 30 से अधिक संगठनों ने समर्थन दिया है, जिनमें माली समाज और शिवसेना भी शामिल हैं। किसानों ने बुधवार, 27 नवंबर को जालोर बंद का आह्वान किया है।
जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के सामने चल रहे इस आंदोलन में किसानों के साथ आम नागरिक और व्यापारी भी शामिल हो रहे हैं। व्यापारी संगठनों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का ऐलान करते हुए किसानों के समर्थन में महापड़ाव में भाग लेने का आह्वान किया है।
महापड़ाव की मुख्य मांगें
1. जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक सुनिश्चित करना।
2. किसानों को समय पर फसल बीमा की राशि दिलाना।
3. जालोर शहर को नर्मदा का शुद्ध और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना।
ज्ञापन सौंपा गया
मंगलवार को चामुंडा माता मंदिर के महंत पवन पुरी महाराज के सानिध्य में किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एडीएम को सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि जवाई बांध के पानी का प्राकृतिक बहाव जालोर की ओर सुनिश्चित किया जाए।
शिवसेना और माली समाज का समर्थन
शिवसेना के जिला अध्यक्ष रूपराज पुरोहित और माली समाज के पदाधिकारियों ने महापड़ाव में शामिल होकर अपना समर्थन जताया।
व्यापारियों और ई-मित्र संचालकों का समर्थन
जालोर के उम्मेदाबाद व्यापारी संघ और ब्लॉक ई-मित्र सेवा समिति, सायला ने भी महापड़ाव का समर्थन किया है। बुधवार को सभी ई-मित्र संचालक और व्यापारी अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर महापड़ाव में शामिल होंगे।
किसानों का संघर्ष जारी
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रतन सिंह कानीवाड़ा ने कहा कि जयपुर कार्यालय में किसानों के फसल बीमा की अर्जियां पड़ी हैं, जिनकी राशि लगभग 125 करोड़ रुपए है। सरकार की लापरवाही के कारण यह राशि किसानों तक नहीं पहुंच पाई है।
जालोर बंद की तैयारियां
ग्रामीण क्षेत्रों में ढोल और रेडियो गाड़ियों के जरिए जालोर बंद का प्रचार किया जा रहा है। किसानों और संगठनों का कहना है कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सरकार की ओर से अभी तक किसी ठोस कदम या आश्वासन की घोषणा नहीं हुई है, जिससे किसानों और समर्थन देने वाले संगठनों में रोष व्याप्त है। बुधवार को जिला मुख्यालय पर बड़े प्रदर्शन की संभावना है।
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