क्रीड़ा शुल्क व राज्य समान परीक्षा फीस को लेकर निजी विद्यालय संघ ने जताया विरोध - BHINMAL NEWS
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क्रीड़ा शुल्क व राज्य समान परीक्षा फीस को लेकर निजी विद्यालय संघ ने जताया विरोध - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 5 दिसंबर 2024 ) BHINMAL NEWS जिला स्तरीय निजी विद्यालय संघ के जिलाध्यक्ष विक्रमसिंह राठौड़ धानसा के नेतृत्व में क्रीड़ा शुल्क व राज्य समान परीक्षा फीस को लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन ।
निजी विद्यालय संघ के महावीर परमार ने बताया कि किसी भी गैर सरकारी स्कूल का संघासन विधिवत रूप से गठित एक समिति करती है । जो सरकार के साथ ही अभिभावकों से फीस के रूप में आय लेकर चलने के कारण ज्यादा जबाब देह होती है। राजस्थान में फीस विधेयक भी लागू है जो व्यवसायीकरण एवं मुनाफाखोरी के खिलाफ है तथा इसके तहत अभिभावको की कमेटियों भी बनी हुई है। विभिन्न आर्थिक प्रनाव वाले मुद्दों पर कमेटियों से चर्चा जरूरी हो जाता है। शिक्षा विभाग के ऐसे आदेश जिसकी वसूली बच्चों / अभिभावकों से की जानी है उनके बारे में अभिभावकों को अवगत कराये जाने पर अभिभावको द्वारा उका तीन आदेशी का अवैधानिक / मनमाना एवं आर्थिक शोषण वाला बता कर उनकी भावनाओं से विभाग को अवगत कराने एवं तब तक वसूली नहीं करने हेतु सामुहिक आग्रह किया है। जब कोई बच्चा खेलने ही नहीं जाता तो उससे क्रीडा शुल्क की वसूली क्यों की जाए ?
समान परीक्षा शुल्क वसूली आदेश
समान परीक्षा शुल्क पहले जिला समान परीक्षा होने पर ही पेपर शुल्क प्रति छात्र 10 रुपये के करीब आता था तो अब सम्पूर्ण राजस्थान की परीक्षा एक साथ होने पर खर्च हर हाल में इससे आधा ही होगा परन्तु विभाग अब 20 रुपये प्रति छात्र वसूल रहा है। जो सरासर आर्थिक शोषण है। अभिभावकों ने इसे जमा करवाने से साफ इंकार कर दिया है। समय परिवर्ततन आजादी से आज तक गैर सरकारी विद्यालयों का समय उस एरिया के वास्तविक परिस्थितियों के अनुसार रखा जाता है ।
जिससे अभिभावको व बच्चों को वास्तविक रूप में कोई दिक्तक नहीं आए यह व्यवस्था कई वर्षों से चली आ रही है तथा किसी को इससे एतराज भी नहीं है एवं बच्चों एवं टीयर्स को अन्य कार्य करने हेतु पर्याप्त समय भी मिल जाता है। और वैसे भी सरकारी स्तर पर दो पारी में चलने वाले स्कूलों के बच्चों को भी तो सर्दी लगती होगी। परन्तु परिस्थितियों यश उनकी सर्दी का ख्याल सरकार नहीं कर पाती तो गैर सरकारी की परिस्थतियों भी तो समझी जा सकती है ?
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