राजस्थान में ऐतिहासिक प्रशासनिक पुनर्गठन: 9 जिले और 3 संभाग समाप्त ,भीनमाल जिला बनने की मांग तेज - JALORE NEWS
रानीवाड़ा संघर्ष समिति का आंदोलन सफल भीनमाल जिला बनने की उम्मीदों को मिला बल - The movement of Raniwada Sangharsh Samiti was successful, the hopes of Bhinmal becoming a district got strengthened
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पत्रकार श्रवण कुमार ओड़ जालोर
निरस्त किए गए जिले और संभाग
सरकार ने जिन 9 जिलों को समाप्त कर पुराने जिलों में मिलाने का फैसला किया है, उनकी सूची इस प्रकार है:
1. शाहपुरा
2. नीमकाथाना
3. जोधपुर ग्रामीण
4. जयपुर ग्रामीण
5. सांचौर
6. दूदू
7. केकड़ी
8. गंगापुर सिटी
9. अनूपगढ़
साथ ही, पाली, सीकर और बांसवाड़ा संभाग भी समाप्त कर दिए गए हैं। इन क्षेत्रों का प्रशासन अब पहले की तरह पुराने संभागीय मुख्यालयों से संचालित होगा।
रानीवाड़ा संघर्ष समिति का आंदोलन रंग लाया
रानीवाड़ा संघर्ष समिति के बैनर तले रानीवाड़ा के नागरिकों ने सांचौर जिले में शामिल किए जाने के खिलाफ 17 अगस्त से 27 सितंबर 2023 तक अनिश्चितकालीन धरना दिया। इस आंदोलन ने तब जोर पकड़ा, जब एक धरनार्थी ने अपने खून से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रानीवाड़ा को सांचौर जिले से हटाकर या तो भीनमाल को नया जिला बनाने या इसे जालोर जिले में ही यथावत रखने की मांग की।
धरनार्थियों का कहना था कि रानीवाड़ा का ऐतिहासिक और प्रशासनिक जुड़ाव हमेशा से जालोर जिले के साथ रहा है। इसे सांचौर जिले में शामिल करना जनभावनाओं के खिलाफ था। संघर्ष समिति के इस आंदोलन ने सरकार पर दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप सांचौर जिले को समाप्त कर इसे जालोर जिले में शामिल कर दिया गया।
धरना प्रदर्शन और खून से लिखे पत्र ने सरकार को झकझोरा
रानीवाड़ा संघर्ष समिति के नेतृत्व में 17 अगस्त से 27 सितंबर 2023 तक पंचायत समिति कार्यालय, रानीवाड़ा के बाहर लगातार धरना जारी रहा। इस दौरान संघर्षकारियों ने सांचौर जिले में रानीवाड़ा को शामिल किए जाने का विरोध किया। आंदोलन के 40वें दिन, एक धरनार्थी ने अपने खून से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रानीवाड़ा को सांचौर जिले से हटाने और भीनमाल को नया जिला बनाकर उसमें शामिल करने की मांग की।
भीनमाल जिला बनने की उम्मीदें प्रबल
सांचौर जिले को निरस्त करने के बाद अब भीनमाल को नया जिला बनाए जाने की संभावना तेज हो गई है। भीनमाल और आसपास के क्षेत्रों में इस फैसले को लेकर खुशी और उत्साह का माहौल है। स्थानीय लोगों का मानना है कि भीनमाल को जिला बनाया जाना क्षेत्र के विकास और प्रशासनिक सुगमता के लिए बेहद आवश्यक है।
पुखराज पाराशर का तीखा हमला
जन अभियोग निराकरण समिति के पूर्व अध्यक्ष पुखराज पाराशर ने सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
"सांचौर, शाहपुरा, नीमकाथाना, दूदू जैसे जिलों को समाप्त करना इन क्षेत्रों के विकास और सुशासन को बाधित करने जैसा है। सांचौर जिले का निरस्तीकरण वहां की जनता के सपनों पर सीधा प्रहार है। यह निर्णय भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता और जनविरोधी मानसिकता को दर्शाता है।"
पाराशर ने जनता से इस फैसले का विरोध करने का आह्वान किया और कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को हर मंच पर उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा,
"भाजपा सरकार को समय आने पर जनता इसका जवाब देगी। लोकतंत्र में जनता की आवाज सबसे बड़ी होती है।"
सरकार ने किया फैसले का बचाव
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस निर्णय को "प्रशासनिक सुधार का बड़ा कदम" बताते हुए कहा,
"इससे राज्य में प्रशासनिक कार्यप्रणाली अधिक सशक्त और सुगम होगी। यह फैसला जनता को बेहतर सेवाएं देने और राज्य के विकास को गति देने के उद्देश्य से लिया गया है।"
आंदोलन की सफलता और आगे की राह
रानीवाड़ा संघर्ष समिति का यह आंदोलन क्षेत्रीय एकजुटता और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बन गया है। सरकार के इस निर्णय से रानीवाड़ा क्षेत्र के लोगों को राहत मिली है।
अब सबकी निगाहें भीनमाल को जिला बनाए जाने के प्रस्ताव पर टिकी हैं। स्थानीय नागरिकों और संघर्ष समिति का कहना है कि भीनमाल जिला बनने से न केवल क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि प्रशासनिक सेवाएं भी अधिक प्रभावी तरीके से मिल सकेंगी।
राजनीतिक और प्रशासनिक असर
राजस्थान में इस फैसले के राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव दूरगामी होंगे। जहां एक ओर भाजपा इसे "प्रशासनिक सुधार" बता रही है, वहीं विपक्ष इसे "जनविरोधी कदम" करार दे रहा है।
राज्य की जनता इस फैसले को किस नजर से देखती है और सरकार इसे लागू करने में कैसी चुनौतियों का सामना करती है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
यह प्रशासनिक पुनर्गठन राजस्थान के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में याद किया जाएगा।
भीनमाल जिला बनने की संभावना
सांचौर जिले का निरस्तीकरण होने के बाद अब भीनमाल को नया जिला बनाए जाने की उम्मीदें प्रबल हो गई हैं। क्षेत्र के लोग मानते हैं कि भीनमाल को जिला बनाना क्षेत्रीय विकास और प्रशासनिक दक्षता के लिए आवश्यक है। स्थानीय नागरिकों और संगठनों का कहना है कि यह कदम क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, जिससे प्रशासनिक सेवाएं अधिक प्रभावी तरीके से प्रदान की जा सकेंगी।
सांचौर को लेकर विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले को लेकर सांचौर के नागरिकों और नेताओं ने विरोध जताया है। पूर्व राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि सरकार का निर्णय जनता के हित में नहीं है। उन्होंने कहा, "सांचौर का जिला जालोर से लगभग 150 किलोमीटर दूर था और वहां के नागरिकों को प्रशासनिक सुविधाओं का अभाव था। ऐसे में सांचौर जिले का निरस्तीकरण दूरदराज क्षेत्रों के लिए समस्याएं पैदा करेगा।"
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सिंह कुम्पावत ने इसे भाजपा सरकार का "जनविरोधी कदम" बताया और कहा कि सरकार ने इस फैसले से सांचौर के नागरिकों के जीवन को कठिन बना दिया है।
जनता की राय और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
पूर्व सांसद देवजी एम पटेल ने कहा, "हम सांचौर जिले को बनाए रखने के पक्ष में थे, लेकिन सरकार ने इसे निरस्त कर दिया। हम इस फैसले की पुनः समीक्षा करवाने के लिए संघर्ष करेंगे।"
भा.ज.पा. के श्रवण सिंह राव ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा बिना स्थानीय सहमति के सांचौर जिले का गठन किया गया था, जो अब सही साबित नहीं हुआ।
प्रशासनिक सुधार या राजनीतिक दांव?
राजस्थान सरकार का यह निर्णय प्रशासनिक सुधार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन विपक्ष इसे एक राजनीतिक दांव मान रहा है। भाजपा इसे राज्य के विकास और प्रशासनिक कार्यप्रणाली को मजबूत करने का कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे "जनविरोधी" करार दे रहा है।
अंतिम विचार
यह प्रशासनिक पुनर्गठन राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर सरकार इसे सुधार का कदम मान रही है, वहीं विपक्ष इसे जनता के हितों पर आक्रमण बता रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भीनमाल को नया जिला बनाए जाने की मांग पर सरकार क्या कदम उठाती है और राज्य की जनता इसका किस तरह से समर्थन करती है।
राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह फैसला भविष्य में कई सवालों का जवाब देगा और राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
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