मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार को मनाई जाएगी , विशेष भौम पुष्य योग, सुस्थिर योग, कुम्हार के घर वास - BHINMAL NEWS
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मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार को मनाई जाएगी , विशेष भौम पुष्य योग, सुस्थिर योग, कुम्हार के घर वास - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकचन्द भण्डारी भीनमाल
भीनमाल ( 12 जनवरी 2025 ) BHINMAL NEWS श्री दर्शन पंचांग कर्ता शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि इस वर्ष भौम पुष्य योग में मकर संक्रांति पर्व पुण्यकाल 14 जनवरी को होगा ।
मकर संक्रांति व्याघ्र पर सवार होकर 14 जनवरी मंगलवार को प्रातः 08.56 पर आयेगी। संक्रांति का पुण्य काल 08.56 से सूर्यास्त तक होगा। संक्रांति का उप वाहन अश्व है। मकर संक्रांति, पीतवस्त्र, कंकण भूषण, पर्ण कंचुकी, कुंकुम लेपन, भूतजाति और जातिपुष्प की माला धारण कर आयेगी। हाथ में गदायुध व रजतपात्र लेकर पायस भक्षण करती हुई कुमार्यावस्था युक्त होगी। संक्रांति का दक्षिण दिशा में गमन है, परन्तु दृष्टि वायव्य कोण की ओर है।
दान का महत्व
त्रिवेदी ने बताया कि मकर राशि का स्वामी शनि देव है। शनि का आधिपत्य काली वस्तु पर होने से मकर में सूर्य प्रवेश के समय तिल, गुड़, कम्बल आदि के दान का महत्व अनन्त गुणा बढ़ जाता है। संक्रांति के पुण्य काल में तिल मिश्रित जल से स्नान करें, तिल का अभ्यंग शरीर पर लेप करें, तिल का होम, तिल मिश्रित जल पान, तिल का भोजन एवं दान इस प्रकार छः प्रकार से तिल का उपयोग करें।
मकर संक्रांति प्राकृतिक पर्व है। इस दिन सूर्य अपनी दक्षिणायन की यात्रा का त्याग कर उत्तरायण की यात्रा में प्रवेश करते है। इसे खगोलिय दृष्टि से देखा जाय तो विषुवत रेखा जो पृथ्वी को उत्तरी व दक्षिणी गोलार्ध दो भागों में बांटती है और इसी दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है।
वर्तमान में अयनांश लगभग 24 अंश के करीब चल रहा है। चूंकि सूर्य प्रतिदिन एक अंश चलता है। इसलिए सायन सूर्य व निरयन सूर्य के राशि प्रवेश में 24 दिन का अन्तर हो जाता है। जैसे सायन गणित में 21 दिसम्बर को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हैं तथा इसी दिन पूरे विश्व में मकर संक्रांति मानी जाती है। परन्तु भारत में निरयन गणित के कारण यह स्थिति 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जाती है। लगभग 24 अंश के अन्तराल को अयनांश कहा जाता है।
मकर संक्रांति को सूर्य अपने शत्रु शनि की राशि में प्रवेश करता है । अतः इस दिन शनि की वस्तुए अर्थात् काले रंग की वस्तुओं के दान का महत्व बताया गया है। जिसमें तिल, गुड़ की बनी वस्तुएं, कंबल आदि का दान विशेष महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार भी इस मौसम में तिल व गुड़ का सेवन वसन्त ऋतु में कफ एवं वर्षा ऋतु में वात रोग से बचाव करता है। पूरे मकर के सूर्य में प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए । अपने चित्त को विषय विकारों से हटाकर परमात्मा का ध्यान, ज्ञान व प्राप्ति का उपाय करें।
यह संक्रांति कुम्हार के घर आगमन करेगी
माघे मासे महादेवः यो दास्यति घृतकंबलम्
स भुक्त्वा सकलान भोगान अंते मोक्षं प्राप्यति।
हिन्दु धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान जनार्दन ने असुरों को मारकर उनके सिरों को मंदार पर्वत के नीचे दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। अतः इस दिन को बुराईयों और नकारात्मकता को समाप्त करने का दिन मानते है।
मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि इस त्यौहार को तमिलनाडु में पोंगल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल में केवल संक्रांति तथा बिहार व उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।
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