महा शिव रात्रि पर बन रहा है अद्भुत त्रिवेणी योग : शास्त्री - BHINMAL NEWS
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महा शिव रात्रि पर बन रहा है अद्भुत त्रिवेणी योग : शास्त्री - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 23 फरवरी 2025 ) BHINMAL NEWS श्रीदर्शन पंचांग कर्ता शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि इस वर्ष महा शिवरात्रि को सूर्य, बुध, शनि का कुंभ राशि पर त्रिवेणी योग बन रहा है । जिसका विश्व राजनीति पर व्यापक असर होगा।
बुधवार को प्रातः 11.10 पर चतुर्दशी प्रारंभ होकर गुरुवार 08.56 तक रहेगी। इस दिन श्रवण धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ व शिव योग रहेगा। गरूड पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए । इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ओम नमः शिवाय मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिव जी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातः काल ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर व्रत का पारणा करना चाहिए ।
त्रिवेदी ने बताया कि भगवान शिव की पूजा अर्चन करने के लिए यह दिन सबसे शुभ होता है। वैसे प्रतिमास शिवरात्रि आती है, परन्तु सबसे बड़ी शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते है। सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश के बाद महाशिवरात्रि का आगमन होता है। भगवान शिव पंचमुखी होकर 10 भुजाओं से युक्त है एवं पृथ्वी, आकाश और पाताल तीनों लोकां के एक मात्र स्वामी है।
शिव का ज्योतिर्मय रूप भौतिकी शिव के नाम से जाना जाता है । जिसकी हम सभी आराधना करते है। ज्योतिर्मय शिव पंचतत्वों से निर्मित है। भौतिकी शिव का वैदिक रीति से अभिषेक एवं स्तुति आदि से स्तवन किया जाता है। तत्वों के आधार पर शिव परिवार के वाहन सुनिश्चित है। शिव स्वयं पंचतत्व मिश्रित जल प्रधान है।
इनका वाहन नंदी आकाश तत्व की प्रधानता लिए हुए है। शिव दर्शन करने के पूर्व नंदीदेव के सींगों के बीच में से शिव दर्शन करते है। क्योंकि शिव ज्योतिर्मय भी है और सीधे दर्शन करने पर उनका तेज सहन नहीं किया जा सकता है। नंदी देव आकाश तत्व होने से वे शिव के तेज को सहन करने की पूर्ण क्षमता रखते है। माता गौरी अग्नि तत्व की प्रधानता लिए हुए है। इनका वाहन सिंह भी अग्नितत्व है। स्वामी कार्तिकेय वायु तत्व है, जिनका वाहन मयूर भी वायुतत्व है। गणेश पृथ्वी तत्व एवं इनका वाहन मूषक भी पृथ्वी तत्व है।
भगवान शिव को शंख से जल, केतकी का पुष्प तथा कंकु नहीं चढ़ाना चाहिए। परन्तु शिवरात्रि को अर्धरात्रि के समय सूखा कंकु चढ़ाया जा सकता है। हरतालिका को केतकी का पुष्प। शिवपूजन निशिथकाल अर्धरात्रि 12.26 से 01.08 तक रहेगा ।
शिवजी के विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक के फल, जल से वृष्टि, कुशोदक से व्याधि शान्ति, इक्षुरस से श्री की प्राप्ति, दुध से पुत्र प्राप्ति, जलधारा से ज्वर शान्ति, वंश वृद्धि के लिए घृतधारा, शर्करा युक्त दुध से बुद्धि का विकास, सरसों के तेल से शत्रु नाश, मधु से राज्य प्राप्ति होती है।
शिवजी को प्रिय है - आक, बिल्वपत्र, देशी घी, भांग, चीनी, दूध, दही, इत्र और केसर।
इस दिन करें इस मंत्र का जाप
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
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