दुनिया में बड़े बदलाव लेकर आएगा मीन राशि में शनि का गोचर : शास्त्री - BHINMAL NEWS
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दुनिया में बड़े बदलाव लेकर आएगा मीन राशि में शनि का गोचर : शास्त्री - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 26 मार्च 2025 ) BHINMAL NEWS साल 2025 ग्रह गोचर की दृष्टि से बेहद खास और महत्वपूर्ण माना गया है। इसका कारण है शनि का राशि परिवर्तन।
श्रीदर्शन पंचांग कर्ता शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि 29 मार्च को 21.40 बजे न्याय के देवता शनि राशि परिवर्तन करने वाले हैं। जब-जब शनि देव मीन राशि में आए हैं, तब-तब वैश्विक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों की लहर देखी गई है। शनि देव को "कर्मफल दाता" और "संहारक ग्रह" माना जाता है, जो न्याय का कारक होता है । जब यह मीन राशि में गोचर करता है, तो यह गहरे भावनात्मक और सामाजिक बदलाव लाता है। मीन राशि एक जल तत्व की राशि है, जिसके स्वामी देव बृहस्पति हैं। इसलिए शनि के गोचर से वैश्विक जल संकट, समुद्री गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन पर असर हो सकता है। साथ ही गुरु और शनि के संयोग या दृष्टि से न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्र में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र में उन्हें मंद गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। ऐसे में शनि की चाल धीमी होने के कारण कर्मफलदाता का प्रभाव व्यक्ति पर लंबे समय तक बना रहता है। इस दौरान व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। लेकिन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या झेलने वाले जातकों की मुश्किलें बढ़ी रहती है। मीन राशि के शनि का इतिहास कहता है कि 1903-1905 में रूस-जापान युद्ध, रूसी क्रांति की शुरुआत हुई थी । 1933-1935 में हिटलर का सत्ता में आना, अमेरिका में न्यू डील, इटली का इथियोपिया पर हमला हुआ था । इसी प्रकार 1963-1966 में अमेरिका में राष्ट्रपति केनेडी की हत्या, वियतनाम युद्ध में अमेरिका की बढ़ती भागीदारी, भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ था। इसी तरह 1993-1996 में यूरोपीय संघ की स्थापना, रवांडा नरसंहार, विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना हुई थी। वर्तमान में शनि 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेगा और 3 जून 2027 तक वहीं रहेगा ।
इस दौरान, विभिन्न क्षेत्रों पर इसका असर देखने को मिलेगा। यथा वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा, कई देशों की अर्थव्यवस्था अस्थिर होना। क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी को बढ़ावा, तकनीकी वित्तीय सुधारों को जन्म होना, बैंकिंग और वित्तीय घोटाले आदि । क्योंकि शनि न्यायधीश ग्रह है, भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा संभव है । शनि राजनैतिक उथल-पुथल देता है । जिससे बड़ी सरकारों में सत्ता परिवर्तन, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में सैन्य गतिविधियां बढ़ सकती हैं। नए गठजोड़ और संधियां होने की संभावना बनेगी, जैसे 1993 में WTO की स्थापना हुई थी, वैसे ही नए व्यापारिक समझौते बन सकते हैं।
विज्ञान और तकनीक में क्रांति के अन्तर्गत अंतरिक्ष और एआई तकनीक का उछाल, एनएएसए, आईएसआरओ और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां नई खोज करेंगी। चन्द्रमा और मंगल मिशन में बढ़ोतरी, जैसे 1903 में पहला हवाई जहाज बना, वैसे ही अंतरिक्ष में बड़ी छलांग संभव है । मीन के शनि में बायोटेक और फार्मा इंडस्ट्री में नए आविष्कार, चिकित्सा क्षेत्र में नई दवाइयों और इलाज की खोज होगी।
नागरिक कल्याण मंच के अध्यक्ष माणकमल भंडारी ने बताया कि सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन के अन्तर्गत विश्व स्तर पर आध्यात्मिक जागृति, नए धार्मिक, ध्यान और योग आंदोलन उभर सकते हैं। साथ ही विध्वंसक मानसिकता, जातीय और धार्मिक संघर्ष बढ़ सकते हैं। पारिवारिक संरचना में बदलाव, विवाह, तलाक और रिश्तों के पैटर्न बदल सकते हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था, सत्ता परिवर्तन और नए नेतृत्व का उभरना हो सकता है। न्यायिक और प्रशासनिक सुधार की संभावना बनेगी। जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवात और भूकंप, समुद्री क्षेत्रों में प्राकृतिक घटनाओं की संभावना बन सकती हैं
शास्त्री ने बताया कि बृहत् संहिता (वराहमिहिर) के ग्रहचारे प्रभावाध्याय में बताया गया है कि जब शनि जल तत्व राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन) में प्रवेश करता है, तो समुद्री और जलीय आपदाएं, व्यापार में अस्थिरता और वैश्विक सत्ता परिवर्तन होते हैं।
"शनि: समुद्रे यदि संचरति,
तदा महती वारिवृष्टिर भवति."
इसी प्रकार फलदीपिका के शनि फलाध्याय में वर्णित है कि जब शनि मीन राशि में स्थित होता है, तो वैश्विक न्याय व्यवस्था, प्रशासनिक सुधार और आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।
"शनि: गुरुपथे यदि संचरति,
धर्मसंस्थानं, राजसत्ता परिवर्त्तनं,
चौर्यकर्म प्रवृद्धयश्च."
शनि न्याय का कारक है और मीन राशि आध्यात्मिकता और नीतिगत सुधारों की प्रतीक है। इसी प्रकार लघु पराशरी (पराशर मुनि) ग्रंथ के अनुसार, शनि के जल तत्व राशि में गोचर से वैश्विक युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं और सत्ता संघर्ष होते हैं।
"शनि: जलराशौ स्थिते,
नृणां महतां युध्दं, क्षेत्राणि विपत्तिं,
जलदोषश्च जायते."
शास्त्री ने बताया कि बृहद् जातक (वराहमिहिर) के अनुसार, जब शनि मीन राशि में होता है, तब बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल और आध्यात्मिक आंदोलन देखने को मिलते हैं ।
"शनि: जलराशौ स्थिते,
धर्मनाशो वा नूतनधर्मोत्पत्तिः."
जातक परिजात में लिखा है । शनि जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तो नौकरी और उद्योग जगत में भारी बदलाव, बेरोजगारी में वृद्धि और श्रम संकट होता है।
"शनि: मीनराशौ स्थिते,
कर्मक्लेशो,
उद्योगे विलंबः,
एवं च विपन्नश्रमः."
शास्त्री ने बताया कि ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव होने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य, मानसिक तनाव, रिश्तों में दरार व कार्यक्षेत्र में समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। परंतु इस वर्ष शनि मीन राशि में प्रवेश करने वाले हैं। इससे कुछ जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति प्राप्त होगी। लेकिन कुछ लोगों पर इसका असर शुरु हो सकता है। इसी तरह 29 मार्च 2025 को शनि के मीन राशि में प्रवेश करने से मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती समाप्त होगी। वहीं इस गोचर से कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर से ढैय्या का प्रभाव खत्म होगा। वहीं सिंह व धन राशि वालों के छोटी पनौती लोहे के पाद पर कष्ट कारक शुरू होने वाली है । कुंभ राशि के जातकों के साढेसाती का तीसरा भाग पैरों पर चांदी के पाद पर आर्थिक लाभ प्रदान करेगा ।
मीन राशि के जातकों के साढेसाती का दूसरा भाग स्वर्ण पाद पर शारीरिक और मानसिक परेशानी दे सकता है । मेष राशि के जातकों के साढेसाती का प्रथम भाग लोहे के पाद पर आर्थिक कष्टदायक रहेगा। त्रिवेदी ने बताया कि यह स्थूल फलादेश है, परंतु सटीक विश्लेषण के लिए जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों का प्रभाव देखना चाहिए।
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