तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का भव्य महामस्तकाभिषेक सम्पन्न - BHINMAL NEWS
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पूजा-विधान, शोभायात्रा, मस्तकाभिषेक में किए अपने भक्ति भाव समर्पित - Devoted your devotion in rituals, procession, mastakabhishek
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 17 अप्रैल 2025 ) BHINMAL NEWS अहिंसा स्थल, महरौली में जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी के जन्मकल्याणक के शुभ अवसर पर 24 वर्षों बाद भव्य महामस्तकाभिषेक का आयोजन मुनि प्रणम्यसागर महाराज के सानिध्य किया गया।
इस भव्य आयोजन में कुतुबमीनार परिसर में मुनि के सानिध्य में अर्हं योग का आयोजन किया गया । जिसमें शताधिक लोगों ने अर्हं योग का लाभ लिया। णमोकार महामंत्र की गूंज से कुतुबमीनार परिसर गूंज उठा। इसी प्रकार नित्य पूजा, अभिषेक एवं स्वाध्याय प्रवचन आदि हुए। वर्धमान स्तोत्र महामण्डल विधान का आयोजन किया गया ।
जिसमें 501 जोड़े एवं अनेक श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से गुरुदेव के सानिध्य में विधान किया। इस तरह 24 वर्षों पश्चात् हो रहे तीर्थंकर भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव के दिन मस्तकाभिषेक का प्रथम कलश जैन समाज के गौरव, धर्मस्थल मंदिर के धर्माधिकारी, राज्यसभा सदस्य पद्म विभूषण, पद्म भूषण वीरेंद्र हेगड़े एवं सुरेन्द्र हेगड़े ने किया और सपरिवार दर्शन किए। मस्तकाभिषेक पर शास्त्रीय संगीत पर आधारित भजन संध्या तथा महिला मण्डल द्वारा सुंदर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। अहिंसा स्थल महामस्तकाभिषेक समिति एवं अहिंसा स्थल परिवार ने भव्य व्यवस्था के साथ समस्त जैन समाज का अभिनंदन किया।
मुनि ने अपने प्रवचन में कहा कि तीर्थंकर भगवान महावीर की ऐसी विशाल प्रतिमा, ऐसे भव्य तीर्थ के दर्शन कर हजारों भक्तों ने पुण्यार्जन किया है और ये अहिंसा स्थल तीर्थ का अतिशय है । उन्होंने सभी श्रावक-श्राविकाओं को आशीर्वाद दिया और तीर्थंकर भगवान महावीर के अणुव्रत, अनेकान्त, अपरिग्रह, स्याद्वाद आदि सिद्धांतों को जीवनपर्यंत संकल्प पूर्वक अपनाने की प्रेरणा दी ।
उन्होंने कहा कि जैनधर्म एक ऐसा महान् धर्म है जिसमें कहा गया है कि हर आत्मा में भगवान बनने की शक्ति है । हर व्यक्ति तीर्थंकरों की तरह तप-त्याग-ध्यान-साधना करके भगवान बन सकता है इसलिए तीर्थंकरों के गुणों को अपनाकर आत्मकल्याण की भावना की ओर अग्रसर रहना चाहिए। तीर्थंकर भगवान महावीर के बताए हुए सिद्धांत हर व्यक्ति के लिए मान्य एवं वर्तमान समय में प्रासंगिक बने हुए हैं और इन सिद्धांतों को ही पूरे विश्व में शांति सम्भव है। इस मनोहारी तीर्थंकर भगवान महावीर की प्रतिमा के दर्शन मात्र से आत्मिक आनंद की प्राप्ति होती है। मुनि ने अहिंसा स्थल को अहिंसा स्थली तीर्थ के रूप में घोषित किया और पंचवर्षीय महामस्तकाभिषेक की उद्घोष किया तो वहां देश-विदेश से आए हज़ारों श्रद्धालुओं ने एक साथ जयकारा लगाकर अपनी प्रसन्नता अभिव्यक्त की।
इस पंचदिवसीय धार्मिक आयोजन के अनेक उद्देश्य थे उनमें से प्रमुख यही थे कि सभी का आत्मकल्याण हो, विश्व में सर्वत्र शान्ति का सामाज्य हो, अहिंसा का घोषनाद हो, मनुष्यों में परस्पर प्रेम भाव हो, आतंकवाद का अभाव हो, विश्व का कल्याण हो और राष्ट्र का उत्थान हो । जन्मकल्याणक महोत्सव पर प्रभु महावीर के बाल स्वरूप की पालना झुलाकर भी सभी ने ममतामयी आनंद लिया। मुनि को आहार देने और देखने के लिए भी श्रद्धालु भारी संख्या में उपस्थिति रही।
भक्तों की भक्ति और उत्साह महामस्तकाभिषेक के लिए देखने को मिला और प्रतिदिन दिल्ली एन. सी. आर के करीब 600 लोगों ने मस्तकाभिषेक किया किया। महामस्तकाभिषेक की पूर्णता पर नित्य पूजा-अभिषेक-शांति विधान-पालकी-शोभायात्रा का आयोजन किया गया ।
निरंतर सुबह से दोपहर तक करीब हज़ारों भक्तजन ने मस्तकाभिषेक कर अपने जीवन को सार्थक किया। महामस्तकाभिषेक में पूरे भारतवर्ष से जैन श्रावक-श्राविकाएं एवं अन्य धर्मावलंबी जो भगवान महावीर, अहिंसा, सत्य नैतिकता, प्रेम में विश्वास रखते हैं वे सभी आए ।
मिडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि इस अवसर पर नेता, विधायक, उद्योगपति, आईएएस, आईपीएस, पत्रकार आदि अनेक गणमान्य अतिथियों ने तीर्थंकर भगवान महावीर एवं मुनि के दर्शनकर एवं आशीर्वाद प्राप्त कर अपने सौभाग्य को सराहा । महामस्तकाभिषेक के सभी आयोजन निर्विघ्न एवं ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न हुए। तीर्थंकर भगवान महावीर महामस्तकाभिषेक समिति एवं अहिंसा स्थल परिवार द्वारा हज़ारों लोगों के लिए की गईं सभी भव्य व्यवस्थाओं को देखकर भक्तगण दंग रह गए और सभी ने समिति की हृदय से प्रशंसा करते हुए ऐतिहासिक महामस्तकाभिषेक के भव्य आयोजन की बधाई दी । समिति की ओर से प्रतिदिन हज़ारों श्रावक-श्राविकाओं के भोजन की व्यवस्था भी प्रशंसनीय थी।
इस आयोजन की सबसे बड़ी बात यह रही कि इसमें कोई भी बोली नहीं लगाई गई और कोई भी भक्त अभिषेक से वंचित नहीं रहा । सभी भक्तों को एक जैसा अवसर दिया गया और जो भक्त भी पहले आए उन्होंने पहले मस्तकाभिषेक किया । साथ ही हज़ारों लोगों द्वारा एक साथ किए गए पूजा-विधान में मुख्य पात्र भी उन्हें बनाया गया जो अहिंसा स्थल में रोज़ अभिषेक पूजन करते हैं ।
अहिंसा स्थल में वर्षभर अनेक आयोजन होते हैं किन्तु यहां की यही विशेषता है कि यहां कोई बोली नहीं होती , यहां सिर्फ भक्ति को महत्त्व दिया जाता है और यही बात सबसे महत्त्वपूर्ण है। इस धार्मिक आयोजन में विश्वशांति एवं सभी जीवों के कल्याण के लिए प्रार्थना की गई।
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