जादूगर रूपाजी रेबारी" — सामंतशाही के विरुद्ध एक ललकारने वाला योद्धा जननायक की अमर गाथा जीवन कैसा था - JALORE NEWS
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जादूगर रूपाजी रेबारी" — सामंतशाही के विरुद्ध एक ललकारने वाला योद्धा जननायक की अमर गाथा जीवन कैसा था - JALORE NEWS
पत्रकार श्रवण कुमार ओड़ जालोर
जालौर ( 22 मई 2025 ) नमस्कार साथियों हम आज जालोर से जुड़ी इतिहास से संबंधित जानकारी के साथ नया वीडियो लेकर आया हूं जालोर के इतिहास से जुड़ा कुछ किस्से हैं ।
अगर आप भी जालोर से तालुक रखते हैं यहां फिर आप भी जालौर के रहने वाले हैं तो यहाँ आपके लिए कुछ खास संबंधित होगा। यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें जैसे कि आप सभी को मालूम है कि आज एक बार फिर से राईका समाज से जुड़े हुए हैं मैंने कुछ महिनों पहले ही यहां राजस्थान के जालौर मुख्यालय पर स्थित एक सुंदर राईका समाज से जुड़े विडियो बन गया था। जिसके बाद में एक बार फिर से आपको राईका समाज की कहानी यहां भी अत्यंत दिलचस्प है।
आइये जानते हैं इतिहास यहां का विडियो के माध्यम से राजस्थान के रेगिस्तानी भूभाग की माटी वीरता, आत्मसम्मान और संघर्ष की कहानियों से भरी पड़ी है। लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं, जो सिर्फ वीरता नहीं, बल्कि जनमानस की आवाज बन जाती हैं। ऐसी ही एक अमर गाथा है — जादूगर रूपाजी रेबारी ( Magician Rupaji Rebari ) की।
( Magician Rupaji Rebari ) रूपाजी का जन्म चोरा गांव (सांचौर, जिला जालोर) में हुआ। वे बचपन से ही तेजस्वी, जिज्ञासु और सृजनशील थे। उनकी इस विशेषता ने उन्हें न सिर्फ परिवार का लाड़ला बनाया, बल्कि समाज में भी उन्हें विशेष सम्मान दिलाया। लेकिन, उनके भीतर जो सबसे बड़ी शक्ति थी, वह थी — अन्याय के प्रति असहमति और अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह।
सामंतों के अत्याचार से टकराव की शुरुआत
18वीं-19वीं सदी का वह दौर था, जब मारवाड़ और जालोर पर सामंतों का कठोर शासन था। आमजन अपने ही घर में पराए जैसा जीवन जीने को मजबूर थे। शोषण, कर, मजदूरी और अपमान — यही जीवन का हिस्सा था। ऐसे समय में जब हजारों लोग चुपचाप दासता स्वीकार कर रहे थे, तब रूपाजी ( Magician Rupaji Rebari ) ने विद्रोह की आवाज उठाई।
उन्होंने अपने बड़े भाई समरथाजी के साथ चोरा गांव छोड़कर पाल गांव की ओर रुख किया। यहाँ से वे वाडाल गांव में आ बसे — जहाँ की पहाड़ियों और घाटियों में वे अपने मवेशियों के साथ रहते थे। लेकिन पाल और वाडाल के शांत वातावरण में भी वे सामंतशाही के काले साये को महसूस कर सकते थे।
'जादूगर' की रहस्यमयी शक्तियाँ और जननेता की भूमिका
रूपाजी केवल एक पशुपालक नहीं थे। उनके पास एक दुर्लभ जादुई विद्या थी, जिससे वे प्राकृतिक और आध्यात्मिक शक्तियों को साधने में सक्षम थे। स्थानीय लोग उन्हें एक 'जादूगर' की तरह पूजते थे — लेकिन उनका जादू केवल रहस्यमय नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना से जुड़ा था।
उन्होंने जनता को जागरूक किया, आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाया, और गुलामी के विरुद्ध खड़ा होना सिखाया। जब सामंतों ने अत्याचार बढ़ाया, तो रूपाजी ( Magician Rupaji Rebari) ने उन्हें रातों की नींद हराम कर दी। गोली चलती — तो पानी निकलता। तलवार उठती — तो हाथ जड़ हो जाता। सामंत घबराए, डरे और बौखलाए।
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जोधपुर दरबार की साजिश और धोखे से हत्या
रूपाजी ( Magician Rupaji Rebari ) की बढ़ती प्रतिष्ठा और प्रभाव से घबराकर जोधपुर के तत्कालीन शासक ने जालोर के सामंतों को आदेश दिया — “इस जादूगर को हर कीमत पर खत्म करो।”
सामंतों ने हर चाल चली — लेकिन रूपाजी ( Magician Rupaji Rebari ) के आत्मबल और दिव्यशक्ति के सामने असफल रहे। आखिरकार उन्होंने एक नीच साजिश रची। एक नाई ने भाई का वास्ता देकर विश्वास जीता और गुप्त सूचना दी। उस समय रूपाजी अपने मवेशियों के साथ जसवंतपुरा की पहाड़ियों में वड्वज गांव में ठहरे हुए थे।
रात का समय था। झोपड़ी में विश्राम कर रहे थे। जादुई सामग्री झोपड़ी में ही रह गई थी — जिसे हमलावरों ने आग के हवाले कर दिया। जब हमला हुआ, तो उनकी रक्षा की शक्ति क्षीण हो चुकी थी। गोलियों से छलनी कर दिया गया — और रूपाजी हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गए।
शहादत ने जनआंदोलन को जन्म दिया
रूपाजी की शहादत ने पूरे समाज को हिला दिया। एक जादूगर नहीं, जनता का नायक, एक क्रांतिकारी योद्धा, और आत्मसम्मान की प्रतीक चला गया। लेकिन उनके विचार आज भी जीवित हैं।
रूपाजी ( Magician Rupaji Rebari ) के परिजनों ने आज तक सामंतों की चौखट पर कदम नहीं रखा। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आईं हों, लेकिन उन्होंने कभी भी अन्याय के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया।
झूठी कहानियाँ, सीडी और वीडियो — और समाज का विरोध
सामंतों ने अपनी जीत का झूठा प्रचार करने के लिए ऑडियो, वीडियो और CD बनवाए। लेकिन देवासी समाज ने हर स्तर पर इसका विरोध किया। हालांकि कानूनी सरंक्षण के चलते इन प्रचार माध्यमों पर पूर्ण पाबंदी नहीं लग पाई, लेकिन जनमानस ने उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया।
आज भी जीवित हैं रूपाजी के आदर्श
आज रूपाजी ( Magician Rupaji Rebari ) का परिवार वाडाल और पाल गांव में रह रहा है। उनके वंशज आज भी उसी स्वाभिमान, त्याग और संघर्ष की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वे मानते हैं कि सामंतशाही केवल तलवार से नहीं, विचारों से हारती है — और रूपाजी ने यही किया।
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निष्कर्ष:
रूपाजी रेबारी ( Magician Rupaji Rebari ) की कहानी सिर्फ एक शख्स की नहीं, बल्कि पूरे समाज की आवाज है। वे ऐसे नायक थे, जिन्होंने डर और दमन के युग में असहमति का परचम लहराया। उनकी शहादत एक प्रेरणा है — जो आज भी युवाओं को अन्याय के खिलाफ लड़ने का हौसला देती है।
जादूगर रूपाजी रेबारी" — सामंतशाही के विरुद्ध एक ललकारने वाला योद्धा जननायक की अमर गाथा जीवन कैसा था - JALORE NEWS : निचे दिए गए लिंक पर क्लीक करे देखिए वीडियो - 👇👇
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