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स्टाम्प पेपर अब तय दर से ही मिलेगा: सरकार ने खत्म किया ओवररेटेड बिक्री का खेल, शिकायत पर होगी कड़ी कार्रवाई - JALORE NEWS
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स्टाम्प पेपर अब तय दर से ही मिलेगा: सरकार ने खत्म किया ओवररेटेड बिक्री का खेल, शिकायत पर होगी कड़ी कार्रवाई - JALORE NEWS
नई दिल्ली ( 5 मई 2025 ) सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेता भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 'लोक सेवक' की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं. इसलिए भ्रष्ट आचरण के लिए पीसी एक्ट के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की व्याख्या करते हुए सह महत्वपूर्ण निर्णय दिया. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा किये जा रहे कर्तव्य की प्रकृति ही यह निर्धारित करते समय सर्वोपरि महत्व रखती है कि ऐसा व्यक्ति पीसी एक्ट के तहत परिभाषित लोक सेवक की परिभाषा के दायरे में आता है या नहीं. अब स्टाम्प पेपर खरीदते समय ग्राहकों को निर्धारित दर से अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि स्टाम्प वेंडरों को अब पेपर की तय कीमत से अधिक वसूली करने की अनुमति नहीं है। स्टाम्प पेपर की मूल कीमत में ही अब विक्रेताओं का कमीशन शामिल कर दिया गया है, जो उन्हें सरकार द्वारा नियमित रूप से दिया जाएगा।
सरकारी आदेश के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति 10 रुपये का स्टाम्प पेपर खरीदना चाहता है तो वह उसे ठीक 10 रुपये में ही मिलेगा। इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता। यही नियम 50, 100 या अन्य किसी भी दर के स्टाम्प पेपर पर लागू होगा।
ओवररेटेड बिक्री करने वालों पर कसेगा शिकंजा
सरकार ने आम जनता से अपील की है कि यदि कोई स्टाम्प विक्रेता निर्धारित दर से अधिक राशि मांगता है या जबरन वसूली करता है, तो उसकी शिकायत तुरंत विजिलेंस विभाग, स्थानीय एसडीएम कार्यालय या जिला कलेक्टर से की जा सकती है। इस तरह की शिकायतों पर प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करेगा।
सरकार की मंशा: पारदर्शिता और जनता को राहत
इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य स्टाम्प पेपर की कालाबाजारी को रोकना और जनता को राहत देना है। लंबे समय से यह देखा जा रहा था कि आम लोगों से स्टाम्प पेपर की वास्तविक कीमत से ज्यादा वसूली की जाती थी, जिससे जनता को आर्थिक नुकसान होता था और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता था।
अब सरकार द्वारा विक्रेताओं को उनके कमीशन का भुगतान सीधे किया जाएगा, जिससे उन्हें ओवररेटेड बिक्री करने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी।
जनता से अपील
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे स्टाम्प पेपर की तय कीमत से अधिक भुगतान न करें और यदि कोई विक्रेता अधिक राशि की मांग करता है तो उसकी जानकारी तुरंत अधिकारियों को दें। इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा बल्कि व्यवस्था भी अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बन सकेगी।
यह कदम सरकार की पारदर्शी और जनहितकारी नीति की दिशा में एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी बल्कि सरकारी राजस्व को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा।
क्या है मामला
एक स्टांप विक्रेता ने ₹10 मूल्य के स्टाम्प पेपर के लिए ₹2 ज्यादा लिया. खरीदार की शिकायत पर एसीबी ने उसे साक्ष्य के साथ गिरफ्तार कर लिया. स्टांप विक्रेता ने इस कार्रवाई को यह कहते हुए चुनौती दी कि वह निजी विक्रेता है. इसलिए उस पर पीसी एक्ट लागू नहीं होता है. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक कर्तव्य के निष्पादन के लिए फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता है, तो वह लोक सेवक होगा.
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