जालोर के बेटे-बेटी ने राजपथ पर परेड को किया कमांड - JALORE NEWS
Jalore-s-son-and-daughter-commanded-the-parade-on-Rajpath |
जालोर के बेटे-बेटी ने राजपथ पर परेड को किया कमांड - JALORE NEWS
जालोर ( 27 जनवरी 2022 ) जालोर जिले के बेटे और बेटी ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर परेड का नेतृत्व कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। राजपथ पर परेड में एनसीसी बटालियन का नेतृत्व प्रमिला कंवर ने किया। आहोर के देवकी गांव की रहने वाली सार्जेन्ट प्रमिला कंवर ने परेड के दौरान एनसीसी-17 बटालियन का बतौर कमांडर नेतृत्व किया।
प्रमिला कंवर ने महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को सलामी दी। वहीं 61वीं कैवेलरी (अश्वरोही दल) परेड का नेतृत्व अगवरी निवासी मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान ने किया। इसके अलावा भीनमाल के सार्जेन्ट करण कुमार ने राजस्थान की लोक सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले दल में मटकी वादन किया। वीर वीरमदेव कॉलेज जालोर के सार्जेन्ट मुकुनपुरी ने बांसुरीवादन किया।
देवकी गांव की हैं प्रमिला कंवर
जालोर जिला महिला शिक्षा में पिछड़ा माना जाता है, लेकिन यहां की बेटी ने कर्नाटक में पढ़-लिख कर एनसीसी के जरिए पूरे राजस्थान को गौरवान्वित किया है। प्रमिला ने बताया कि वह इस जिम्मेदारी से बहुत खुश है। 18 साल की प्रमिला कंवर के पिता प्रताप सिंह सोलंकी मैसूर में होटल व्यवसायी हैं। समाजसेवी पिता ने बेटी को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
अश्वरोही दल का मेजर मृत्युंजय सिंह ने किया नेतृत्व
जालोर के अगवरी निवासी मेजर मृत्युंजय सिंह ने 61वीं कैवेलरी (अश्वरोही दल) परेड का नेतृत्व किया। ऐसा करके अगवरी गांव समेत पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ाया। गौरव की बात ये भी है कि 61वीं कैवेलरी (अश्वरोही दल) विश्व की एकमात्र गैर यांत्रिक घुड़सवार सेना है। यह रेजिमेंट अपनी ऐतिहासिक और शाही अंदाज को बरकरार रखते हुए आज भी सिर्फ खेल के मैदान में ही नहीं अपितु युद्ध के मोर्चे पर भी अग्रणी रहती है। मेजर मृत्युंजय सिंह भारतीय पॉलो टीम के भी बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उनके पिता तखत सिंह चौहान राजस्थान राज्य विद्युत विभाग में एससी पद से सेवानिवृत हैं। मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान भारत सरकार में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के भानजे हैं। मृत्युंजय सिंह की प्राथमिक शिक्षा सूरतगढ़ से हुई और उसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा जोधपुर से पूरी की। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। यहीं से कॉलेज की शिक्षा के दौरान घुड़सवारी का शौक लगा और जोधपुर पोलो ग्राउंड में राइडिंग सीखी। यहीं से सेना में जाने का रास्ता तय हुआ।
एक टिप्पणी भेजें