वीरांगना हीरां देवी के जीवनी पर प्रकाश डाला - भट्ट - JALORE NEWS
![]() |
Biography-of-Veerangana-Hiran-Devi-sheds-lightBhatt |
वीरांगना हीरां देवी के जीवनी पर प्रकाश डाला - भट्ट - JALORE NEWS
जालोर ( 1 मई 2022 ) जालोर विकास समिति व सीनियर सिटीजन फोरम के तत्वावधान में जालोर जन मंच द्वारा स्थानीय सीनियर , सिटीजन सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया , कार्यक्रम संयोजक परमानन्द भट्ट ने बताया कि विक्रम संवत 1368 को वैशाख कृष्णा अमावस्या की इसी काली रात को ही वीरांगना हीरां दे ने अपने गद्दार पति बीका दहिया का अंत किया था, अत: गोष्ठी ' क्षत्राणी हीरां दे , का त्याग' विषय पर केन्द्रित थी, गोष्ठी के प्रारंभ में
सेवानिवृत्त जिला कोष अधिकारी ईश्वर लाल शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया । गोष्ठी का आगाज करते हुए जाने माने उपन्यासकार तथा `पाषाण पुत्री क्षत्राणी हीरां दे' उपन्यास के लेखक पुरूषोत्तम पोमल ने उपन्यास के अंश का वाचन करते हुए अलाउद्दीन खिलजी की कुटिलता, बीका दहिया की गद्दारी, कान्हड़देव व वीरम देव का शोर्य तथा वीरांगना माँ हीरां दे के अनूठे त्याग का शब्द चित्र प्रस्तुत कर गोष्ठी को ऊंचाई प्रदान की कवि अचलेश्वर आनंद ने मरण को मंगल गिनने की रजपूती परम्पराओं का वर्णन करते हुए राजस्थानी दोहों के माध्यम से सरस उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए हाड़ी रानी, पन्ना धाय, गोरां धाय, तथा वीरांगना हीरां दे के अमर बलिदान का पुण्यस्मरण किया, शिक्षाविद ओम प्रकाश खण्डेलवाल ने हीरां दे के त्याग को विश्व इतिहास की अनूठी घटना बताते हुए इतिहास में स्वर्ण गिरि के गौरव मय इतिहास का पुनर्लेखन की आवश्यकता बताई ।
इस अवसर पर परमानन्द भट्ट ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता हीरां दे का वाचन कर वातावरण को भावपूर्ण बना दिया ।
सेवानिवृत्त लेखाधिकारी ललित कुमार दवे ने कहा कि हमें अपने इतिहास पर गर्व करना चाहिए,अल्लाउद्दीन जैसे आततायी शासक से लोहा लेना, शहजादी फिरोजा से शादी का प्रस्ताव वीरमदेव द्वारा ठुकराना, यह कोई सामान्य घटना नहीं है कवि मीठा लाल खत्री ने स्वर्ण गिरि के उज्ज्वल इतिहास पर चर्चा की विशिष्ट अतिथि तथा संस्कृति शोध परिषद के संयोजक संदीप जोशी ने विक्रम संवत् 1368 की वैशाख कृष्ण अमावस्या से शुक्ल पक्ष की षष्ठम तक चले युद्ध का वर्णन करते हुए अपने महान पूर्वजों का लगातार पुण्य स्मरण करने की आवश्यकता बताई, उन्होंने हिरां दे के बलिदान, महाराज कान्हड़ देव के शौर्य, वीरमदेव, कांधल, जेता देवड़ा जैसे सपूतो की याद में बड़े कार्यक्रम करने तथा इस विषय पर लगातार साहित्य सृजन की आवश्यकता बताई,
उन्होंने कहा कि उन वीरों तथा महान जाबाली ऋषि का पुण्य स्मरण न कर जालोर पितृ दोष का भागी हो रहा है । विशिष्ट अतिथि तथा महाविद्यालय प्रिन्सिपल प्रोफेसर अर्जुन सिंह उज्जवल ने कहा कि हमारे गौरव शाली इतिहास को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है, उन्होंने त्याग के उदाहरण देते हुए हीरां दे के महान त्याग को अनूठी व अद्भुत बताया, राष्ट्र धर्म के लिए अपने गद्दार पति के प्राण लेकर हीरां दे ने विश्व के समझ एक आदर्श प्रस्तुत किया है, कि राष्ट्र धर्म की रक्षा सदैव सर्वोपरि है । कार्यक्रम अध्यक्ष भंँवर लाल चौपड़ा ने वर्तमान पीढ़ी को अपने ओजस्वी इतिहास से परिचित कराने हेतु लगातार ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता बताई इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने उपन्यासकार पुरूषोत्तम पोमल का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ।
कहा कि उन्होंने क्षत्राणी हीरां दे पर उपन्यास लेखन कर जालोर की जनता को उनके इतिहास से परिचित कराने का पवित्र कार्य किया है । अंत में सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता बी.एल. सुथार ने सभी प्रबुद्ध जनों का आभार ज्ञापित किया कार्यक्रम में समाजसेवी मदनराज बोहरा, हुक्मीचंद जैन, वेदपाल मदान, विजयकुमार दवे, देवेंद्र नाग, सुरेन्द्र नाग, अम्बा लाल माली, भरत गहलोत,सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जनों व वरिष्ठ नागरिकों ने गोष्ठी में सहभागिता की निभाई ।
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें