खबर जरा हटके : चम्पा मेथी के जीवनी के बारे में जानकारी , यहाँ दोनों चम्पा मेथी कौन था जिसे गुलशन कुमार मिलने पहुंचे - JALORE NEWS
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चम्पा मेथी के जीवनी के बारे में जानकारी , यहाँ दोनों चम्पा मेथी कौन था जिसे गुलशन कुमार मिलने पहुंचे - JALORE NEWS
जोधपुर ( 15 मई 2023 ) चंपा मेथी की जुगलबंदी का आज भी कोई विकल्प तैयार नही हुआ हैं ! राजस्थान व खासकर मारवाड क्षेत्र में इस जोड़ी की प्रसिद्धी के सामने लता - रफी की जोड़ी भी पानी भरती नजर आती थी ....
कहते हैं उस दौर में मारवाड से जितनी टेप कैसेट रिकॉर्डिंग होती थी, उनमें सर्वाधिक चंपा-मेथी की होती थी ! इनकी प्रसिद्धी व कार्य को देख कैसेट निर्माता टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार स्वयं मुम्बई इन्हें व्यक्तिगत मिलने के लिए आये थे ! उनकी जुगलबंदी में गाया गया एक-एक गीत यहां के लोगो के दिल में आज भी गुंज रहा हैं ! इनके गीतों ने आम आदमी के दिल में जगह बनाई उसकी खास वजह थी कि, इनके गीतो का भाव व उनकी कल्पना मारवाड के जन-जीवन व संस्कृति को छुने वाली होती थी ! इस जोड़ी ने राजस्थान और खासकर मारवाड़ के तमाम रितिवाज से लेकर यहां की सुख-दुख की घटना, सभी त्यौहारों व फसलों से लेकर उन्होंने विभिन्न कल्पनाओं पर अपने गीत गाये हैं ।
चंपा मेथी राजस्थान के वे कलाकार थे जो खुद ही गीतकार संगीतकार और गायक थे।। वे अपने गीत खुद लिखते और गाते थे। उनकी सुरीली आवाज में वो जादू था जिसने मारवाड़ में हर तबके के लोगो को पसंद आया। उन्होंने उस समय के हर वीर पुरुष की गाथा और उस समय के गरीब तबका मीना जाति की जो दयनीय दशा थी उसको भी अपने गीत के माध्यम से आमजन को बताया । जहाँ तक जानकारी है चंपा ने दो शादी की थी । । चंपा की मृत्यु टीबी के कारण और मेथी की हत्या हुई थी । जो उसके ही परिवार के आपसी रंजिश में मारी गई थी । ये जोड़ी जीवन के अंतिम क्षणों में साथ नही रह पाई । इनके द्वारा गाये गये गीत आज भी मारवाड़ के हर व्यक्ति की जुबान पर हैं।
कौन थे चंपा और मेथी?kaun the champa aur methee
चंपा मेथी राजस्थान के वे कलाकार थे जो खुद ही गीतकार संगीतकार और गायक थे।। वे अपने गीत खुद लिखते और गाते थे। उनकी सुरीली आवाज में वो जादू था जिसने मारवाड़ में हर तबके के लोगो को पसंद आया। बहुत सारे गीत लिखा है। जब पति और पत्नी दोनों एक साथ गीत गाते थे। और बहुत ही सुरीली आवाज में करीबन 100 से अधिक ऊपर गीत लिखा था। और 700 से अधिक गीत गया था। हमारे पुरे राजस्थान में यहाँ पर ऐसा कलाकार था कि जोकि अनेक प्रकार के गीत गया करते थे। आज ऐसे एक भी कलाकार नहीं हुई है।
जीवनी
चंपा-मेथी की जुगलबंदी का आज भी कोई विकल्प तैयार नही हुआ हैं ! राजस्थान व खासकर मारवाड़ क्षेत्र में इस जोड़ी की प्रसिद्धी के सामने लता - रफी की जोडी भी पानी भरती नजर आती थी. कहते हैं उस दौर में मारवाड से जितनी टेप कैसेट रिकॉर्डिंग होती थी, उनमें सर्वाधिक चंपा मेथी की होती थी!
और सबसे खास बात यहाँ है कि मई 1947 में गुलशन कुमार जब पहली बार जयपुर आया था तब एक होटल में उस समय उसके दोस्त के सामने संगीत की बात चला रहीं थी। उस समय अपने दोस्त को गुलशन कुमार को बताया कि तब कहीं हमारे मारवाडा में जुगाड़ हुए हमारे मारवाडा क्षेत्र में भी पति और पत्नी दोनों बहुत ही अच्छा गीत गाते हैं। उस समय टेप के माध्यम से कैसेट लगाकर गीत सुनाया गया। गुलशन कुमार बहुत ही प्रभावित हुई और उनकों तजूर्बा हुआ किया इतनी सुरीली आवाज चम्पा मेथी की जैसे लता मंगेशकर की आवाज जैसी और गुलशन कुमार प्रभावित हुए और कहाँ कि मुझे मिलने है। और इच्छा जारी किया गया। मुझे मिलने है और बहुत बिजी होने के बावजूद भी फिर भी वहाँ जोधपुर आया था और जहाँ पर होटल में ठेला था उस होटल में चम्पा मेथी से मुलाकात किया था। और दोनों को चम्पा मेथी को होटल में बुलाया गया था। और गुलशन कुमार ने यहाँ तक भी बोला दिया था कि मैं आपको मुम्बई लेकर जाउँ गया और पुरे तैयार तक कर डाली थी चम्पा मेथी को मुम्बई लेकर जाने के लिए परन्तु गुलशन कुमार को 12 अगस्त 1947 को गोली मारकर हत्या कर दिया गया थी। जिससे चम्पा मेथी का सपना अधूरा सा रहा गया था। और चम्पा मेथी का सपना पूरा नहीं हो सका।
उपलब्धियां
इनकी प्रसिद्धी व कार्य को देख कैसेट निर्माता टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार स्वयं मुम्बई से इन्हें व्यक्तिगत मिलने के लिए आये थे! उनकी जुगलबंदी में गाया गया एक-एक गीत यहां के लोगो के दिल में आज भी गुंज रहा हैं !
इनके गीतों ने आम आदमी के दिल में जगह बनाई उसकी खास वजह थी कि, इनके गीतो का भाव व उनकी कल्पना मारवाड के जन-जीवन व संस्कृति को छुने वाली होती थी ! इस जोड़ी ने राजस्थान और खासकर मारवाड़ के तमाम रितिवाज से लेकर यहां की सुख-दुख की घटना, सभी त्यौहारों व फसलों से लेकर उन्होंने विभिन्न कल्पनाओं पर अपने गीत गाये हैं | उन्होंने उस समय के हर वीर पुरुष की गाथा और उस समय के गरीब तबका मीना जाति की जो दयनीय दशा थी उसको भी अपने गीत के माध्यम से आमजन को बताया।
रचनाये
जहाँ तक जानकारी है चंपा ने दो शादी की थी। चंपा की मृत्यु टीबी के कारण और मेथी की हत्या हुई थी । जो उसके ही परिवार के आपसी रंजिश में मारी गई थी । ये जोड़ी जीवन के अंतिम क्षणों में साथ नही रह पाई ।
इनके द्वारा गाये गये गीत आज भी मारवाड़ के हर व्यक्ति की जुबान पर हैं। इनमें प्रमुख रूप से जो मुझे याद आ रहे है उसमें -
काकर माते केवड़ों बेठो...
केवड़ा रे लागा फूल...
नीबड़े निबोली मोमा ...
रूपलो रबारी ..
कोनीया वेलीया ..
नाथूसिंह ..
बलबंतसिंह बाखासर ..
इडोनी..
मेनो ऋ गजकी ..
भोज बगडावत ..
रायचन्द ..
शकुर खान
ॐ पूरी ..
बेडलो .. पनजी ..
रामलाल मंसिडो...
रो: हरिन रो.
चूड़ी गजरों ..
रिड़मल..
विटी..
मूमल...
केसुलाल चंद्राणी छोरी कमली ..
काकर माथे केवडो..
कांगसियो
बड़े निबोली मोमा....
अम्मा दे गाडकी को भाडियो ..
बिछुड़ो .. पंखिडो..
बिजल..
भाखर रा भोमिया .
केसरीयो हजारी गुलरो फुल ....
बाबो ओमपुरी ...
हरियाला बन्ना... जिनावरीयो ..
रानालियो... छोरी सितकी ...
हाडियो...
डिगो थारो डगीओ..
रुमालियो..
दादर नैनी रा ...
टेशन टेशन रेडियो लगवा दो.. (जब रेडियो व्यक्ति की प्रतिष्ठा का साधन हुआ करता था, बहुत कम लोगो के पास रेडियो हुआ करते थे) इस तरह के हजारों गाने गाये हैं जो आज भी सुनने वालों को आनंदित कर देते हैं ।
मेरी इच्छा व मांग हैं कि राजस्थान सरकार को संगीत कला के क्षेत्र में इस जोड़ी के नाम से पुरस्कार रखा जाना चाहिए और इन्हें मरणोपरांत संगीत सम्मान भी दिया जाना चाहिए क्योंकि इस जोड़ी ने दशकों तक मारवाड़ के लोगों का निस्वार्थ मनोरंजन तो किया ही साथ अपनी कला, संस्कृति, संगीत, अपणायत से जोड़े रखा। उस दौर में जब मनोरंजन के कोई साधन नहीं थे तब मारवाड़ का एक भी घर शायद शेष नहीं होगा जहाँ इस जोड़ी के संगीत की कैसेट ना हो ।
चंपा कौन है उसे किस चीज का ज्ञान नहीं है?
इसे सुनेंरोकेंचंपा गाँव की अनपढ़ बालिका है। उसे अक्षर ज्ञान नहीं है। जब कवि पढ़ने लगता है तब वह वहाँ आकर चुपचाप खड़ी-खड़ी सुनती रहती है। चंपा कवि द्वारा बोले गए अक्षरों को सुनती है।
चंपा का आधुनिक नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंचम्पा के लोग और राजा शैव थे। अन्नम प्रांत के मध्य और दक्षिणी भाग में प्राचीन काल में जिस भारतीय राज्य की स्थापना हुई उसका नाम ‘चंपा’ था।
चंपा मेथी की मौत कैसे हुई?
इसे सुनेंरोकेंचंपा की मृत्यु टीबी के कारण और मेथी की हत्या हुई थी । जो उसके ही परिवार के आपसी रंजिश में मारी गई थी ।
चंपा के पिता का नाम क्या था
चंपा के पिता का नाम सुंदर था। वहपेशे से ग्वाला थे | उनके पास गाएँ-भैंसें थी| चंपा गाएँ-भैसें चराने का काम करती थी।
चंपा और मेथी, एक पति और पत्नी की जोड़ी, पश्चिमी राजस्थान में सबसे लोकप्रिय "लोक" गायकों में से एक थे, जिनके नाम पर अनगिनत कैसेट थे। वे हुडकल समुदाय से थे। इन गीतों को मेथी ने अपने पति चंपा के साथ गाया है। पाबु जी का जन्म संवत 1313 में जोधपुर ज़िले में फलौदी के पास कोलूमंड गाँव में हुआ था। देवल चारणी की गायों की रक्षा करते हुए वीर-गति को प्राप्त हुए।
इस जोड़ी को कोटि-कोटि वंदन करता हूं और तमाम पत्रकार बंधुओं आह्वान करता हूं कि इस जोड़ी पर अपनी कलम अवश्य चलाये यही उनको सच्ची श्रदांजलि होगी ।
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