Sanjeev Jeeva Murder Case: यूपी के 2 विधायकों के मर्डर के आरोपी की कोर्ट परिसर में हत्या, जानें कौन था संजीव महेश्वरी जीवा?
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Sanjeev Jeeva Murder Case: यूपी के 2 विधायकों के मर्डर के आरोपी की कोर्ट परिसर में हत्या, जानें कौन था संजीव महेश्वरी जीवा?
लखनऊ ( 8 जुन 2023 ) Gangster Sanjeev Maheshwari Jeeva Profile: आजीवन कारावास की सजा काट रहे 48 वर्षीय गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार (7 जून) को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई. यूपी के स्पेशल डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया, ''आज (7 जून) दोपहर करीब 3:55 बजे गैंगस्टर संजीव उर्फ जीवा को लखनऊ सिविल कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था. जैसे ही वह कोर्ट पहुंचा, वकील के वेश में आए एक शख्स ने उस पर गोली चला दी.''
पुलिस अधिकारी ने बताया, ''वारदाच में जीवा, दो पुलिस कांस्टेबल और एक डेढ़ साल की बच्ची घायल हो गई. इलाज के दौरान जीवा की मौत हो गई. पुलिस कांस्टेबल और लड़की की हालत स्थिर है और उनका इलाज चल रहा है. जिस शख्स ने गोली चलाई, उसे मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था.''
दो बीजेपी नेताओं की हत्या में आया था संजीव जीवा का नाम
पुलिस के मुताबिक, जीवा लखनऊ की जेल में सजा काट रहा था. कई आपराधिक मामलों में वह आरोपी था. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन 65 माफियाओं की लिस्ट जारी की थी, उसमें मेरठ जोन के माफियाओं में संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा का नाम भी शामिल थ
दो बीजेपी नेताओं ब्रह्म दत्त द्विवेदी और कृष्ण नंद राय की हत्या में जीवा का नाम आया था. 2005 के कृष्णानंद राय हत्याकांड में उसे बरी कर दिया गया था जबकि 1997 के ब्रह्म दत्त द्विवेदी हत्याकांड में उसे दोषी ठहराया गया था. बताया जाता है कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड में ब्रह्म दत्त द्विवेदी ने ही बसपा सुप्रीमो मायावती की रक्षा की थी.
कौन था संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा?
संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. उसके पिता का नाम ओम प्रकाश माहेश्वरी और माता का नाम कुंती माहेश्वरी है. जीवा अपने पीछे पत्नी पायल महेश्वरी, तीन बेटों और एक बेटी को परिवार में छोड़कर गया है. जीवा की पत्नी पायल महेश्वरी ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार मिली थी.
संजीव जीवा पर आपराधिक मामले
पुलिस के अनुसार संजीव जीवा के खिलाफ 24 मामले दर्ज हुए थे. 17 मामलों में उसे बरी कर दिया गया था. मुजफ्फरनगर, शामली, हरिद्वार और फर्रुखाबाद जैसे क्षेत्रों में हत्या, अपहरण, रंगदारी और डकैती के मामलों में जीवा का नाम आया था.
जीवा गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी के साथ जुड़ा था. मुन्ना बजरंगी की गैंग पर मुख्तार अंसारी के लिए काम करने के आरोप लगे. इसी वजह से जीवा मुख्तार के करीबी लोगों में शामिल हो गया था. बताया जाता है कि वह सबसे खास शूटरों में शामिल था. संजीव जीवा की गैंग में 35 से ज्यादा लोग शामिल थे.
कैसे हुई अपराध जगत में शुरुआत?
90 के दशक में यूपी के मुजफ्फरनगर में 'शंकर दवाखाना' नामक दुकान पर जीवा कंपाउंडर के रूप में काम करता था. यह दवाखाना शराब छुड़ाने का दावा करता था. दवाखाने पर आने वाले लोग कंपाउंडर जीवा को डॉक्टर कहकर बुलाते थे.
उन दिनों किसी आदमी से पैसे वापस न मिलने पर दवाखाने का मालिक परेशान था. मालिक ने जीवा से पैसे लाने के सूरत में उसे इनाम देने की पेशकश की. जीवा पैसे वापस ले आया और मालिक ने उसे इनाम दिया. बाद में दवाखाने के मालिक का अपहण हुआ तो उसका आरोप जीवा पर ही लगा था.
कहा जाता है कि मालिक के अपहरण से जीवा के मुंह में अपराध की दुनिया का खून लग चुका था. 90 के ही दशक में कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे के अपहरण में भी जीवा का नाम आया. बताया जाता है कि जीवा ने व्यापारी के बेटे को छोड़ने के लिए फिरौती की रकम दो करोड़ रुपये मांगी थी. उस कांड के बाद जीवा बड़े अपराधियों में शामिल हो गया था.
ब्रह्म दत्त द्विवेदी हत्याकांड
10 मई 1997 को फर्रुखाबाद के तत्कालीन बीजेपी विधायत ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या कर दी गई थी. हत्या में जीवा का भी नाम आया था. उस दिन सिटी कोतवाली क्षेत्र में द्विवेदी एक तिलक समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. बाद में उनकी कार पर गोलियां बरसाकर उनकी हत्या कर दी गई थी. वारदात में द्विवेदी के बॉडीगार्ड बीके तिवारी की भी मौत हो गई थी और ड्राइवर रिंकू को चोटें आई थीं. द्विवेदी को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था.
फर्रुखाबाद के एक दबंग नेता विजय सिंह और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया था. विजय सिंह की गिरफ्तारी दिल्ली से हुई थी. पूछताछ में तीनों अज्ञात हमलावरों के बारे में पता चला, जिनमें बलविंदर सिंह, रामेश ठाकुर और संजीव जीवा के नाम सामने आए थे. रमेश ठाकुर मुठभेड़ में में मारा गया था. सीबीआई जांच के बाद संजीव जीवा को हत्याकांड में दोषी पाया गया था. इसके बाद से ही वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा था.
कृष्णानंद राय हत्याकांड
2005 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से विधायक थे. 29 नवंबर 2005 को एक गांव में क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर लौट रहे राय पर गोलियां बरसाकर उनकी हत्या कर दी गई थी. राय समेत 7 लोगों की हत्या हुई थी. उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गई थीं. बताया जाता है कि करीब 500 राउंड गोलियां चलाई गई थीं और वारदात में एके-47 का इस्तेमाल हुआ था.
कृष्णानंद राय के भाई रामनारायण राय के कोर्ट में दिए गए बयान के मुताबिक, कृष्णानंद राय टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के बाद शाम करीब चार बजे कनुवान गांव की ओर जा रहे थे. उस दौरान गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना राय, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय, शेषनाथ सिंह और खुद रामनारायण राय भी कृष्णानंद राय के साथ जा रहे थे. बसनियां चट्टी गांव से डेढ़ किलोमीटर आगे सामने से आई एक कार से 7-8 लोगों ने निकलकर गोलियां बरसाकर हत्याकांड को अंजाम दिया था.
हत्याकांड का आरोप मुन्ना बजरंगी, मुख्तार अंसारी और संजीव जीवा समेत कई लोगों पर लगा था. मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई. मुख्तार और संजीव जीवा को इस मामले में बरी कर दिया गया था.
संजीव महेश्वरी जीवा पर जेल से गैंग चलाने का था आरोप
संजीव जीवा पर जेल से गैंग चलाने का आरोप लगा था. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, जीवा को 2013 में बाराबंकी जेल की अस्पताल की विशेष बैरक में शिफ्ट किया गया था, जहां वह अपना दरबार लगाता था. रोजाना 25 से 30 लोग उससे मिलने आते थे. व्यवस्था वीवीआईपी थी. टीवी, फ्रिज, मोबाइल, लैपटॉप समेत तमाम सुविधाओं का वह इस्तेमाल करता था. बताया जाता है कि जीवा को बीमारी क्या थी, इस बारे में जेल के अधिकारियों को पता नहीं था.
कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने क्या कहा?
संजीव महेश्वरी जीवा की हत्या पर कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने एबीपी न्यूज को प्रतिक्रिया दी है. पीयूष राय ने कहा, ''(जीवा) खूंखार अपराधी था. सीबीआई ने इसे आरोपी बनाया था. हमारे पिता जी हत्या में वह बरी हो गया था लेकिन ब्रह्मदत्त जी की हत्या में उसे आजीवन कारावास हुआ था. इसने कई लोगों के घर उजाड़े थे और इनके दुश्मन भी होते हैं. जाहिर है ऐसे लोगो का अंत ऐसे ही होता है. बताया जाता है कि 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से उसके पति को बचाने की गुहार लगाई थी.
सीएम योगी ने बनाई तीन सदस्यीय कमेटी
राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संजीव महोश्वरी ऊर्फ जीवा की हत्या के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस टीम में मोहित अग्रवाल ADG टेक्निकल, नीलब्ज़ा चौधरी और प्रवीण कुमार आईजी अयोध्या को सौंपी है। टीम को एक सप्ताह के भीतर इसकी जांच पूरी कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
पश्चिमी यूपी का खूंखार गैंगस्टर था जीवा
दरअसल, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का खूंखार गैंगस्टर था। वह मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी गिरोह से जुड़ा हुआ था। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के करीबी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार को लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर वकीलों के वेश में आया था
वारदात को अंजाम देने वाला शूटर पकड़ा गया
वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, नाराज वकीलों ने पुलिस पर पथराव किया। कुछ पुलिस कर्मियों को चोटें आईं हैं। इस बीच, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन अगर कोई ऐसी हत्याओं में शामिल होगा, तो पुलिस उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, उसे बख्शा नहीं जाएगा।'
लखनऊ गोलीकांड में बच्ची समेत पुलिसकर्मी भी हुए घायल
राजधानी लखनऊ के कोर्ट में बुधवार दोपहर अज्ञात बदमाशों ने गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। फायरिंग के दौरान एक बच्ची को भी गोली लगी है। हत्यारा वकील की ड्रेस में था। उसकी पहचान विजय यादव पुत्र श्यामा यादव निवासी केराकत जिला जौनपुर के रूप में हुई है। पुलिस छानबीन में जुटी हुई है। हमले में एक सिपाही लाल मोहम्मद भी घायल हुआ है। हमले में घायल डेढ़ साल की बच्ची को बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया है। जहां उसका इलाज चल रहा है।
वकील के ड्रेस में आए थे हमलावर
हमलावर वकील की ड्रेस में थे और कोर्ट परिसर के बाहर वारदात को अंजाम दिया है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। गैंगस्टर संजीव पूर्वांचल के भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में आरोपी था। मुख्यमंत्री योगी ने घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित की है। मोहित अग्रवाल, नीलब्ज़ा चौधरी और प्रवीण कुमार एक सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट देंगे।
कोर्ट में हत्या होना कानून व्यवस्था की पोल खोलने वाला: अखिलेश यादव
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ कोर्ट में हुई हत्या पर कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। प्रदेश में नियमित डीजीपी तक नहीं है। कार्यवाहक डीजीपी से काम चलाया जा रहा है। ऐसा तीसरी बार हुआ जब कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्या दिल्ली और लखनऊ का इंजन टकरा रहा है। लखनऊ में महिलाएं असुरक्षित हैं। हर जिले में महिलाओं के साथ घटनाएं हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि नोएडा में महिला वकील की हत्या हुई है। कन्नौज के सांसद चौकी में घुस कर पुलिस को पीट रहे हैं। कचहरी में हत्याएं हो रही हैं। सवाल यह नहीं है कि कौन मरा है सवाल ये है कि कहां मारा जा रहा है। कोर्ट में हत्या होना कानून व्यवस्था की पोल खोलता है। भाजपा के लोगों ने मंदिर में मांस रखवाया था। जिसकी वजह सं दंगा हुआ था।
एक नजर में अतीक-अशरफ हत्याकांड
15 अप्रैल की रात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की कॉल्विन अस्पताल के गेट गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन शूटरों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकेंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया था। शूटरों ने दोनों के पुलिस जीप से उतरने के 32वें सेकेंड में पहली गोली दागी थी। इसके बाद लगातार कुल 20 गोलियां दागीं और 50वें सेकेंड तक माफिया भाइयों का काम तमाम हो चुका था। अतीक व अशरफ को रात 10.36 पर लेकर पुलिस कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंची थी।
आज बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के ही कोर्ट गया था जीवा
जीवा के वकील का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर हार्डकोर क्रिमिनल संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को कोर्ट में पेशी पर हमेशा बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर लाया जाता था। वहीं आज बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के ही वह कोर्ट गया था। जीवा को मारने वाले की पहचान विजय यादव के रूप में हुई है, वह जौनपुर का बताया जा रहा है। इस घटना को दोपहर 3.50 बजे से 3.55 बजे के बीच अंजाम दिया गया है।
इस गोलीकांड में जो बच्ची घायल हुई है, उसकी पहचान लक्ष्मी के रूप में हुई है। वह डेढ़ साल की है। वह सुरक्षित है और उसे आईसीयू में रखा गया है। वहीं सिपाही लाल मोहम्मद के पैर में गोली लगी है। हालांकि उनकी हालत भी सुरक्षित बताई जा रही है। कचहरी परिसर के आस पास इंटरनेट बंद किया गया है।
यूपी के डिप्टी सीएम का बयान सामने आया
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस घटना पर कहा, 'कोई भी हत्या करेगा तो वो बचेगा नहीं। उत्तर प्रदेश की पुलिस उसे पकड़ेगी और कानून के हिसाब से उसे सजा दी जाएगी।'
कौन है संजीव जीवा, जिसकी हत्या हुई
संजीव जीवा वेस्ट यूपी का एक कुख्यात अपराधी था, जो कभी कंपाउंडर हुआ करता था। उसने एक बार अपने ही मालिक का किडनैप कर लिया था। पश्चिमी यूपी का कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन द्वारा उसकी संपत्ति भी कुर्क की गई थी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा जितना खेती-किसानी के लिए प्रख्यात है, उतना ही गैंगस्टर और अपराधियों के लिए कुख्यात रहा है। भाटी गैंग, बदन सिंह बद्दो, मुकीम काला गैंग और न जाने कितने अपराधियों के बीच संजीव माहेश्वरी का भी नाम जुर्म की दुनिया में पनपा। 90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस व आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया।
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