पाली सम्भाग की सीटो पर कैसे जीता जावे को लेकर चल रहा है चिंतन -मनन
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जालोर विधानसभा सीट पर भाजपा खेल सकती है महिला पर दाव - BJP can bet on a woman in Jalore assembly seat
जालोर / सिरोही ( 17 सितम्बर 2023 ) जालोर और सिरोही से पिछले लगातार दो विधानसभा चुनावों में जिले की पांच में से चार सीट बीजेपी जीतती आ रही है। वर्ष 1990 से 2018 तक हुए सात विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो सांचौर विधानसभा सीट को छोड़कर शेष चारों सीटों पर बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई है।जालोर -सिरोही की 8 विधानसभा सीटो में बीजेपी व कांग्रेस किसी एक सीट पर किसी महिला को उतारने पर विचार कर रही है।
बीजेपी से जुड़ी कुछ महिलाएं जालोर,रेवदर व सिरोही सीट से टिकिट की मांग कर रही है ।
कांग्रेस पाली डिवीजन में अपनी खस्ता हालत को ठीक करने के लिए सभी सीटो पर जीताऊ उम्मीदवार ढूढने के लिए अनेक राज्य व केंद्रीय नेताओ को फील्ड में भेजकर टिकिट दावेदारों की जीत के समीकरण की जमीनी हकीकत मालूम करवा रही है । अनेक स्तर के सर्वे व फीड बेक के बाद कल AICC की ओर से नियुक्त प्रभारी पूर्व सांसद श्री शमशेर जी ने फील्ड में नेताओ से संवाद कर राजनीतिक समीकरण को समझा । किसको उम्मीदवार बनाने से क्या क्या नफा नुकसान पार्टी का रहेगा । इस फीडबैक के बाद अब किसे टिकिट देना है उसका अंतिम फैसला मुख्यमंत्री गहलोत की अनुशंसा के बाद होगा ।
टिकिट के दावेदार बहुत होने से पाली डिवीजन की सभी सीटों पर दोनों दलों को बहुत डीप में जाना पड़ रहा है ।
जानकर सूत्रों के अनुसार बीजेपी पाली से ज्ञानचंद पारिख, सुमेरपुर में जोराराम ,बाली पुष्पेंद्र सिंह,आहोर में छगनसिंह राजपुरोहित, रानीवाड़ा में नारायण सिंह देवल व सांचोर में देवजी पटेल व जीवाराम चौधरी को पार्टी जीताऊ मान रही है । बाकी जगह नए चेहरों को उतारने पर विचार चल रहा है।
कांग्रेस सुमेरपुर में बद्रीराम झाखड़ , बीना काक व मेवाड़ा ,सिरोही में संयम लोढा,रेवदर में मोतीराम कोली ,पिंडवाड़ा में लीलाराम या निम्बाराम गरासिया पर दांव खेल सकती है। सांचोर में सुखराम विश्नोई ,रानीवाड़ा ,भीनमाल,जालोर व आहोर में इस बार कांग्रेस नए चेहरे को उतारने के लिए उनके जीत के समीकरण क्या बनता है वो देख रही है ।
दोनों दलों के सामने भोमिया राजपूत, देवासी,पुरोहित,राजपुत, मीणा,गरासिया,जैन,वैश्य,कोली ,सरगरा,चौधरी,मेघवाल, सहित कुछ अन्य समाज भी टिकिट देने का दबाव बना रहे है ओर दोनों ही दलों में लोकल को टिकिट देने की मजबूत पैरवी हो रही है इस कारण बाहरी को कैसे उतारना यह फैसला करना कठिन ही गया है । यह भी तय है कि जिनको टिकिट नही मिला वो निर्दलीय मैदान में उतरकर जीत का गणित बिगाड़ देगा उसकी भी चिंता दोनों दलों को है साथ ही भीतर रहकर भीतर घात को कैसे रोका जाएगा उस पर भी चिंतन करना होगा।
जिला बनाकर कांग्रेस का लाभ लेने का दांव बना बीजेपी के लिए चुनौती
राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार की ओर से हाल ही में प्रदेश में नए जिले बनाने की गणित ने जालोर जिले में चुनौती पैदा कर दी है। जालोर से सांचौर को अलग नया जिला बना देने से कई लोग नाराज हो चुके हैं। सांचौर में शामिल किए गए बागोड़ा और रानीवाड़ा क्षेत्र के लोग धरना प्रदर्शन कर सांचौर में शामिल करने का विरोध जता रहे हैं। उनकी मांग है कि भीनमाल को नया जिला बनाकर उन्हें भी भीनमाल में शामिल किया जाए, या फिर यथावत जालोर जिले में ही रखा जाए।
जालोर में बीजेपी ने जमाई गहरी जड़ें
जालोर जिले की पांच सीटों में से जालोर जिला मुख्यालय विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित है। बीजेपी ने जालोर सीट पर 1990 से लेकर 2018 तक हुए सात विधानसभा चुनाव में 6 बार जीत हासिल की है। केवल एक बार ही वर्ष 2008 में कांग्रेस से रामलाल मेघवाल जीत पाए। यहां वर्ष 1990, 1993, 2003 व 2018 में बीजेपी से जोगेश्वर गर्ग, 1998 में गणेशीराम मेघवाल व 2013 में अमृता मेघवाल विधायक निर्वाचित हो चुकी है। इस सीट पर टिकट रोटेशन ने भी बीजेपी को फायदा पहुंचाया है।
सात चुनाव में आहोर में बीजेपी ने टिकट रिपीट नहीं किया
आहोर विधानसभा सीट एक समय कांग्रेस की गढ़ बन चुकी थी, लेकिन बीजेपी ने धीरे-धीरे यहां भी मजबूत स्थिति कायम कर ली है। सबसे बड़ी खूबी बीजेपी की यह रही कि बीजेपी ने यहां हार और जीत दोनों परिस्थितियों में टिकट रिपीट नहीं किया। पिछले सात चुनाव में से आहोर में बीजेपी तीन बार जीती है। यहां 1990 में कांग्रेस से गोपाल सिंह, 1993, 1998 व 2008 में कांग्रेस से भगराज चौधरी, 2003 व 2013 में बीजेपी से शंकर सिंह राजपुरोहित और 2018 में छगन सिंह राजपुरोहित विधायक निर्वाचित हुए हैं। यहां लगातार दो बार से बीजेपी जीतती आ रही है।
भीनमाल सीट पर BJP ने पूराराम पर लगातार 6 बार दांव खेला
जिले की भीनमाल विधानसभा सीट पर बीजेपी ने 1993 के बाद से उम्मीदवार बदला ही नहीं है। पिछले सात चुनाव में बीजेपी चार बार जीत चुकी है। पिछले तीन चुनाव तो लगातार जीत रही है। यहां 1993 से पूराराम चौधरी को उम्मीदवार बनाया जाने लगा, जिसमें 1998 व 2003 में बीजेपी को हार झेलनी पड़ी। जबकि 1993, 2008, 2013 व 2018 में पूराराम चौधरी ने बीजेपी को जीत दिलाई है।
रानीवाड़ा में बीजेपी को मिल रही कड़ी टक्कर
जिले की रानीवाड़ा विधानसभा सीट पर हालांकि पिछले सात में से चार बार बीजेपी को जीत मिली है, लेकिन यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच टक्कर का मुकाबला है। हालांकि यहां लगातार दो बार से बीजेपी जीत रही है, लेकिन वर्ष 2018 में तो मुकाबला बेहद नजदीकी पहुंच गया था। यहां वर्ष 1990 व 1998 में रतनाराम कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए। इसी प्रकार 1993 व 2003 में अर्जुनसिंह देवड़ा, 2008 में कांग्रेस से रतन देवासी तथा 2013 व 2018 में नारायणसिंह देवल बीजेपी से निर्वाचित हुए।
सांचौर में एकजुट नहीं हो पाई बीजेपी, सात में से पांच बार हारी
जिले की सांचौर विधानसभा सीट पर बीजेपी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है। यहां खासकर बीजेपी में एकजुटता की कमी देखी गई। 1990 से लेकर 2018 तक हुए सात विधानसभा चुनाव में केवल दो बार ही बीजेपी जीत पाई। 1990 में लक्ष्मीचंद मेहता व 2003 में जीवाराम चौधरी ने बीजेपी को जीत दिलाई। जबकि 1993 व 1998 में कांग्रेस से हीरालाल विश्नोई, 2013 व 2018 में कांग्रेस से सुखराम विश्नोई और 2008 में जीवाराम चौधरी ने निर्दलीय जीत हासिल कर विधायक बने।
JALORE NEWS
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