MLA Jogeshwar Garg कौन हैं जोगेश्वर गर्ग, जिन्हें राजस्थान विधानसभा में बनाया गया मुख्य सचेतक - JALORE NEWS
Who-is-Jogeshwar-Garg-in-Chief-Whip-in-Rajasthan-Assembly |
कौन हैं जोगेश्वर गर्ग, जिन्हें राजस्थान विधानसभा में बनाया गया मुख्य सचेतक - JALORE NEWS
जालौर ( 9 जनवरी 2024 ) JALORE NEWS जालोर के विधायक जोगेश्वर गर्ग को सरकार ने विधानसभा का मुख्य सचेतक बनाया है। इससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। जालोर से पांचवी बार विधायक बने गर्ग भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल है,
राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही अब मुख्य सचेतक की भी नियुक्ति हो गई है। मंगलवार को जोगेश्वर गर्ग को राजस्थान विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया। वह सदन में फ्लोर मैनेजमेंट का काम संभालेंगे। जोगेश्वर गर्ग को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। आइए जानते हैं जोगेश्वर गर्ग कौन हैं…
जालोर से बीजेपी विधायक हैं जोगेश्वर गर्ग MLA Jogeshwar Garg
जोगेश्वर गर्ग जालोर से बीजेपी विधायक हैं। उन्हें संघ का करीबी माना जाता है। जोगेश्वर 1968 से आरएसएस से जुड़े हैं। वह हिंदी और राजस्थानी के कवि भी हैं। वह पांच बार विधायक और एक बार मंत्री भी रह चुके हैं। इंटरनेट पर उनका खुद का ब्लॉग भी है। वह प्रॉपर्टी का कारोबार करते हैं।
इससे पहले जोगेश्वर गर्ग विपक्ष में रहते हुए बीजेपी विधायक दल के सचेतक थे। उन्हें पहले भजनलाल कैबिनेट में प्रमुख दावेदार बताया जा रहा था। हालांकि अब उन्हें मुख्य सचेतक की कमान सौंपी गई है। 1990 में पहली बार विधायक बनने के बाद सक्रिय राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले जोगेश्वर गर्ग 1993 में भी MLA बने। हालांकि पांच साल बाद 1998 में हुए चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा सत्र 19 जनवरी से शुरू हो रहा है. विधानसभा सत्र के लिए उन्होंने कहा कि उस दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा. 20 जनवरी को उस पर बहस होगी. उसके बाद सदन की कार्यवाही नियमित चलेगी. उन्होंने कहा कि सब मिलकर अच्छा काम करेंगे. सार्थक बहस होगी. विपक्ष में रहते हुए भूमिका निभाने पर उन्होंने कहा कि मैं तीन बार सत्ता पक्ष में भूमिका में रहा हूं. एक बार विपक्ष में भूमिका में रहा हूं और इस बार चौथी बार मुझे मौका मिला है, तो इसको भी बेहतर से निभाने की कोशिश करूंगा.
भैरोंसिंह शेखावत की सरकार में मंत्री
वे एक बार फिर 2003 में राजस्थान विधानसभा पहुंचे। हालांकि अगले 10 साल तक चुनाव नहीं जीत सके। उन्होंने इसके बाद 2018 और अब 2023 का लगातार चुनाव जीता। अब पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है। जोगेश्वर गर्ग भैरोंसिंह शेखावत की सरकार (1990) में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रह चुके हैं। वह बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। बीमा और बैंकिंग सेक्टर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले जोगेश्वर गर्ग ने पहला चुनाव 1990 में लड़ा था। गर्ग ने इस नियुक्ति पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि उनके विपक्ष के विधायकों से भी मधुर संबंध हैं।
पुत्रवधु ने कर रखा है केस
जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग MLA Jogeshwar Garg के दो बेटे व एक बेटी है। बड़े बेटे की पत्नी ने उसके पति प्रकाश पुंज, ससुर जोगेश्वर गर्ग व सास के विरुद्ध न्यायालय में दहेज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज करवा रखा है। इस प्रकरण में जोगेश्वर गर्ग को स्थगन आदेश (स्टे) मिला हुआ है। वहीं इनके बेटे ने मामले में सरेंडर कर गिरफ्तारी भी दे दी थी।
प्रकरण न होता तो गर्ग की काबिलियत का मिलता फायदा
समर्थकों का मानना है कि न्यायालय में प्रकरण न होता तो जोगेश्वर गर्ग की काबिलियत का फायदा प्रदेश की जनता को मिलता। इस बार जालोर-सांचौर की पांच सीट में से केवल जालोर और आहोर सीट पर ही भाजपा जीत हासिल कर सकी है। जोगेश्वर गर्ग लगातार दूसरी बार और पांचवी बार के विधायक है। गर्ग अधूरी सरकार में राज्य मंत्री रहे, लेकिन दो बार भाजपा की पूर्ण सरकार होने के बावजूद इन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं दिया गया, इस बार केबिनेट मंत्री बनने की संभावनाएं बढ़ गई थी, लेकिन अब मुख्य सचेतक पद पर भूमिका निभानी पड़ेगी।
क्या होता है मुख्य सचेतक?
मुख्य सचेतक को सरकार और विधायकों के बीच की कड़ी माना जाता है। वह फ्लोर मैनेजमेंट का काम देखते हैं। उन्हें पार्टी के नेता की आंख और कान भी कहा जाता है। वह नेताओं की इच्छाओं को पार्टी और मुख्यमंत्री तक पहुंचाते हैं। वह सदन में एक सलाहकार के रूप में भी काम करते हैं। मुख्य सचेतक दल में अनुशासन बनाए रखने के लिए भी उत्तरदायी होता है।
पहली जीत में बने थे राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार
आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में काम करते हुए जोगेश्वर गर्ग को भाजपा पार्टी ने वर्ष 1990 में जालोर अनुसूचित सीट पर मैदान में उतारा था। इसमें गर्ग को जीत मिली, उस दौरान मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने अपनी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आयुर्वेद बनाकर गर्ग का रुतबा बढ़ाया था। इसी कार्यकाल के दौरान 1991 में लोकसभा चुनाव में गर्ग को पार्टी ने बूटासिंह के सामने मैदान में उतारा। हालांकि लोकसभा में गर्ग हार गए थे, लेकिन 1993 से 1998 तक की भैरोसिंह की सरकार में भी गर्ग दुबारा विधायक निर्वाचित होने में सफल हुए।
उस दौरान गर्ग को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। इतना ही नहीं 1998 के चुनाव में गर्ग की टिकट काट दी गई। उसके बाद 2003 में जोगेश्वर गर्ग को फिर से पार्टी ने मौका दिया, गर्ग जीत गए और सरकार भी भाजपा की बन गई, लेकिन गर्ग को मंत्री नहीं बनाया गया। वर्ष 2008 में गर्ग पहली बार विधायक का चुनाव हार गए। इस कारण 2013 में गर्ग की फिर टिकट काट दी गई। वर्ष 2018 में फिर से गर्ग पर पार्टी ने भरोसा जताया, लेकिन सरकार कांग्रेस की बन गई। इसके बावजूद पार्टी ने जोगेश्वर गर्ग की वरिष्ठता का ख्याल रखते हुए विधायक दल का सचेतक बनाया। उसके बाद वर्ष 2023 में फिर से पार्टी ने गर्ग को जालोर सीट पर मौका दिया, गर्ग जीत गए और सरकार भी भाजपा की बन गई। समर्थकों को उम्मीद थी कि इस बार वरिष्ठता को देखते हुए केबिनेट मंत्री बन सकते है, लेकिन पार्टी ने जातीय गणित के लिहाज से और न्यायालय में चल रहे प्रकरण को ध्यान में रखते हुए मंत्री पद नहीं दिया, अब सरकार ने विधानसभा में मुख्य सचेतक (केबिनेट मंत्री दर्जा) बनाया है।
शेखावत सरकार में 1990 में मंत्री रह चुके हैं गर्ग:
गर्ग 1990 में भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री रह चुके हैं. उनके पास यूडीएच, स्वायत्त शासन और पीएचईडी, आयुर्वेद विभाग थे. गर्ग बीजेपी में कई पदों पर रह चुके हैं. गर्ग बीजेपी एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद और बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भी रह चुके हैं. जोगेश्वर गर्ग MLA Jogeshwar Garg 1968 से आरएसएस में सक्रिय रहे हैं. बता दें कि गर्ग विपक्ष में रहते हुए भी सदन में मजबूती पक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं.
जोशी के साथ लाल चौक पर तिरंगा फहराने श्रीनगर गए थे गर्ग: बता दें कि जोगेश्वर गर्ग शुरू से ही आरएसएस और हिंदूवादी संगठनों के साथ सक्रिय रहे हैं. जोगेश्वर गर्ग भैरोंसिंह शेखावत सरकार में मंत्री थे, उस वक्त श्रीनगर के लालचौक में तिरंगा फहराने के आंदोलन में शामिल होने के लिए जनवरी 1992 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उस वक्त मुरली मनोहर जोशी नेतृत्व कर रहे थे और मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी उस अभियान का जिम्मा संभाल रहे थे. गर्ग भी मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी के साथ जाने वाले प्रमुख नेताओं में थे. गर्ग बाद में दिसंबर 1992 में अयोध्या में कारसेवा के लिए भी गए थे. अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद राजस्थान में तत्कालीन भैरोंसिंह शेखावत सरकार को केंद्र ने बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया था.
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें