श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर जैन मुनि पीयूषचंद्र विजय का आव्हान पत्र - BHINMAL NEWS
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श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर जैन मुनि पीयूषचंद्र विजय का आव्हान पत्र - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 14 जनवरी 2024 ) BHINMAL NEWS मोहनखेड़ा महातीर्थ विकास प्रेरक गच्छाधिपति गुरुदेव आचार्य श्रीमद विजय ऋषभचन्द्र सुरीश्वर म सा के आज्ञानुवतीं शिष्य रत्न होने एवं एक जैन संत होने के नाते सभी देशवासियों से कहना चाहता हूं कि गुरुदेव आचार्य श्रीमद ऋषभचन्द्र सुरीश्वर म सा हमेशा हिन्दू एवं सनातन धर्म को मजबूत करने पर जोर दिया करते थे।
अयोध्या हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म का संयुक्त तीर्थ स्थल है । यू कहे तो वहां के कण-कण में भगवान विराजमान है। अयोध्या में कई महान योद्धा, ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके हैं। जैन मत के अनुसार यहां प्रथम तीर्थकर आदिनाथ ऋषभदेव सहित कई तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदन, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था। जैन धर्म के अधिकांश तीर्थकरों का जन्म भगवान श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश में माना जाता है।
हमारे जैन धर्म में भगवान राम को बहुत उच्च स्थान दिया गया है। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते है । क्योकि मर्यादा, करुणा, दया, सत्य, सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलकर वह आदर्श पुरुष कहलाए है। जीवन में उनके विचारों को सभी को अनुसरण करना चाहिए तभी आपका यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के निमित्त हो रहे देशभर में आयोजन मनाना सार्थक हो जाएगा।
राम जन्मभूमि आंदोलन में जुड़े अनेक लोगो ने बलिदान समर्पण दिया, उनको स्मरण करने का भी अवसर है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी उस दिन उपवास कर रहे है वह भी रामकाज में जुटे है । साथ ही वे 11 दिन का विशेष अनुष्ठान भी कर रहे है । ऐसे में भी आप सभी से आग्रह करना चाहता हूं कि हम सबको भी कम से कम एक धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए। जो भी प्रभु श्रीराम की सेवा में लगे सभी हिन्दू संगठन के सदस्य, प्रत्येक वह लोग जो प्रभु श्रीराम में आस्था रखते है, उन सभी को साधुवाद प्रदान है।
जैन धर्म के सभी श्रद्धालु अनुयायियों, समाज के सभी वरिष्ठ ज़न सभी जैन तीर्थ के ट्रस्टी के ट्रस्टी से एक जैन संत होने के नाते आव्हान है, देशभर में सर्व हिन्दू समाज के द्वारा जो भी पूजन-अर्चन अनुष्ठान हो रहे है,सनातन के सभी मंदिरों की शुद्धिकरण हो रही है तो अपने जैन मंदिरों अर्थात जिनालयों को भी उसी दिन सभी मिलकर उसका भी शुद्धिकरण सजावट करें। 22 जनवरी को दीपोत्सव की तरह मनाए व सारे आयोजन में सहयोगी बनकर तन-मन-धन से सहयोग देकर प्रभु की भक्ति में कार्य में जुड़कर देश वासी होने का श्रेष्ठ परिचय देकर गौरव की अनुभूति करे राम लला की प्राण-प्रतिष्व निर्विघ्न सम्पन्न ।
JALORE NEWS.
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