कुण्डलपुर नगरी में खुशियाँ छाई, प्रियंवदा देने आई बधाई ,वीर प्रभु का मन्त्रोच्चार के साथ नामकरण एवं पाठशालागमन - BHINMAL NEWS
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कुण्डलपुर नगरी में खुशियाँ छाई, प्रियंवदा देने आई बधाई ,वीर प्रभु का मन्त्रोच्चार के साथ नामकरण एवं पाठशालागमन - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 12 फरवरी 2024 ) BHINMAL NEWS भाण्डवपुर महातीर्थ में तत्त्वत्रयी प्रतिष्ठोत्सव का आयोजन पुण्य-सम्राट जयन्तसेनसूरीश्वर म. सा. के पट्टधरद्वय गच्छाधिपति नित्यसेनसूरीश्वर एवं भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक आचार्य जयरत्नसूरीश्वर म. सा. आदि विशाल श्रमण-श्रमणिवृन्द की शुभ निश्रा में विविध धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों के साथ 5 से 20 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है ।
मिडिया प्रभारी कुलदीप प्रियदर्शी ने बताया कि गच्छाधिपति नित्यसेनसूरीश्वर के मंगलाचरण के साथ भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक आचार्य जयरत्नसूरीश्वर महाराज, विमलगच्छाधिपति आचार्य प्रद्युम्नविमलसूरीश्वर महाराज, आचार्य नरेन्द्रसूरीश्वर महाराज आदि विशाल श्रमण-श्रमणिवृन्द की शुभनिश्रा में क्षत्रियकुण्ड नगरी में प्रभु के जन्मोत्सव की बधाई एवं नामकरण एवं पाठशालागमन का कार्यक्रम कलाकारों द्वारा किया गया ।
राजदरबार में राजा सिद्धार्थ को प्रियंवदा दासी द्वारा जन्म की बधाई दी गई जिसका लाभ पारसमल मिश्रीमल संघवी-दाधाल ने लिया । प्रभु का नामकरण आचार्य जयरत्नसूरि महाराज ने मन्त्रोच्चार करके प्रभु की भुआ-भुडोसा के लाभार्थी कालूचन्द साँकलचन्द हुकमाणी-पाँथेड़ी ने सपरिवार राजदरबार में पधारकर वर्धमान नामकरण किया । परिवारजनों ने अष्टप्रकारी सामग्री सहित विविध आभूषण प्रभु को अर्पण की ।
धर्मसभा में आचार्य जयरत्नसूरि महाराज ने कहा कि भाण्डवपुर की पुण्यवन्त धरा पर पुण्य-सम्राटश्री का पुण्य बरसता है और योगीराज का तप-ध्यान तपता है । प्रतिष्ठा के निमित्त कार्यदक्ष मुनिराज आनन्दविजय महाराज की सद्प्रेरणा से बनने वाली गौशाला में जीवदया हेतु संस्थापक सदस्यों के लिए बनाई योजना में अनेक पुण्यशालियों ने अपने नाम अंकित कराए, जो गौशाला संकुल में पट्ट पर लिखे जाएँगे ।
महोत्सव के आठवें दिन 12 फरवरी को तीर्थ परिसर में प्रतिष्ठा निमित्त भगवान का नामकरण, पाठशालागमन कार्यक्रम राजदरबार में विभिन्न पात्रों द्वारा मंचन किया गया । पाठशाला में राजगुरु बनने का लाभ माँगीलाल भोमराज संकलेचा-मेंगलवा ने लिया । संघवी राजेन्द्र करणपुरिया ने कार्यक्रम में भक्ति गीतों से सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया ।
दोपहर में जिनेन्द्र पंचकल्याणक पूजा जयन्तीलाल हस्तीमल कागरेचा-ओटवाला की ओर से संगीतमय पढ़ाई गई ।
प्रातः की नवकारसी तरुणकुमार मूलचन्द छत्रियावोरा-जीवाणा की ओर से, दोपहर की नवकारसी शान्तिदेवी नेनमल हुकमाणी-पाँथेड़ी की ओर से एवं सायं की नवकारसी ताराचन्द तेजराज हुकमाणी-पाँथेड़ी की ओर से हुई ।
आयोजन में प्रभावना दिलीपकुमार पारसमल हुकमाणी-पाँथेड़ी, परमात्मा एवं गुरु प्रतिमाओं की नयनाभिराम अंगरचना संघवी मगराज हंसराज खिंवेसरा-आकोली की ओर से एवं प्रभु भक्ति एवं रोशनी नेमीचन्द तिलोकचन्द हुकमाणी-पाँथेड़ी की ओर से हुई ।
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