राज्यपाल ने आचार्य को भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक पदवी से किया अलंकृत - BHINMAL NEWS
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जो हुआ पुण्य-सम्राट एवं योगीराज के आशीर्वाद से : जयरत्नसूरि - Whatever happened with the blessings of the virtuous emperor and Yogiraj: Jayaratnasuri
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 17 फरवरी 2024 ) BHINMAL NEWS भाण्डवपुर महातीर्थ में तत्त्वत्रयी प्रतिष्ठोत्सव के दौरान कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने आचार्य के किये दर्शन वंदन ।
मिडिया प्रभारी कुलदीप प्रियदर्शी नेच बताया कि मुनिराज पुष्पदन्तविजय महाराज के अट्ठाई, पुण्य-सम्राट जयन्तसेनसूरि महाराज के 81 वर्षीय जीवन पर्याय के अनुमोदनार्थ जिनशासन के इतिहास में प्रथम बार साध्वी कुमुदप्रिया की 81 अट्ठाइयाँ, साध्वी आर्जवकला के 81 अट्ठम एवं साध्वी काव्यरत्ना के 69-70 र्वी वर्धमान तप की ओली का पारणा गुरुओं की निश्रा में बाजते-गाजते करवाया ।
महोत्सव के तेरहवें दिन तीर्थ परिसर में प्रतिष्ठा निमित्त शुभ मुहूर्त्त में प्रभु प्रतिमा, गुरु प्रतिमा आदि बिम्बों का अंजन विधान आचार्य भगवन्त द्वारा मन्त्रोच्चार के साथ विधिविधान से किया गया । महावीर जिनालय में विधिविधान के साथ अठारह अभिषेक किया गया ।
तीर्थ दर्शनार्थ कर्नाटक के महामहिम राज्यपाल थावरचन्द गहलोत पधारे । महावीर जिनालय, गुरु मन्दिर एवं समाधि मन्दिर के दर्शन कर क्षत्रियकुण्ड नगरी में धर्मसभा में पधारे । धर्मसभा में गच्छाधिपति नित्यसेनसूरि महाराज ने मंगलाचरण करते हुए कहा कि राज्यपाल की जैनधर्म के प्रति निष्ठा एवं लगन है । धर्म के प्रति आत्मीयता एवं गुरु के प्रति समर्पण से ही आप आज उच्च पद पर पहुँचे हैं । पुण्य-सम्राट के प्रति पूर्ण समर्पण एवं श्रद्धा थी ।
भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक आचार्यदेव जयरत्नसूरि महाराज ने कहा कि या तो त्याग करें अथवा भक्ति करें । इन दोनों से व्यक्ति अपना मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं । 154 वर्ष पूर्व दादा गुरुदेव ने इस पुण्य भूमि पर ॐ अर्हम् का जाप किया और यहाँ के अधिष्ठायक देव ने इसके पुनरुद्धार की प्रेरणा प्रदान करने हेतु निवेदन किया । पूर्वाचार्यों एवं योगिराज-पुण्य-सम्राट के आशीर्वाद से जो कुछ भी हुआ है वह दोनों गुरुभ्राता के कारण हुआ है । हम दोनों के द्वारा यह तीर्थ ऊँचाइयों को छुए ।
महामहिम राज्यपाल थावरचन्द गहलोत ने कहा कि इस तीर्थ का काया कल्प आचार्य जयरत्नसूरीश्वर महाराज के कुशल मार्गदर्शन एवं कार्यदक्ष मुनिराज आनन्दविजय महाराज के परिश्रम से ही सम्भव हुआ है और उन्होंने गच्छाधिपति की निश्रा में आचार्य जयरत्नसूरि को भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक पदवी से अलंकृत करते हुए अभिनन्दन-पत्र प्रदान किया । मैं पुण्य-सम्राट के आशीर्वाद से कार्य कर रहा हूँ । हमारी संस्कृति विश्वबन्धुत्व का सन्देश प्रदान करती है और धर्म रक्षा में सन्तों का बहुत योगदान है । मैं जन्म से नहीं अपितु कर्म से जैनी हूँ । मेरा तो रिश्ता ही जैन समाज से जुड़ा है । भक्ति में शक्ति होती है और आप करेंगे तो समझ जाएँगे । मैं जैन सन्तों के सान्निध्य में आकर पूर्ण व्यसन मुक्त हो गया हूँ । साधु-सन्तों की प्रेरणा से युवा पीढ़ी व्यसन मुक्त होकर एवं प्रेरणा करके समाज एवं देश की सेवा करें तो सारा देश व्यसन मुक्त हो सकता है ।
कार्यक्रम में राज्यपाल के करकमलों से मुनिराज चारित्ररत्नविजय की पुस्तक भाण्डवपुर गीतांजलि एवं मुनि प्रशमसेनरत्नविजय की पुस्तक गुरु गुण गाथा का लोकार्पण किया गया ।
कार्यक्रम में पारसमल बालगोता ने राज्यपाल का शब्दों से स्वागत किया । सुप्रीम न्यायालय के अधिवक्ता हर्ष सुराणा ने अपने विचार प्रकट किए । राज्यपाल के पधारने पर बहुमान के लाभार्थी परिवारों द्वारा उनका बहुमान किया गया । तीर्थ की ओर से आभार धीरज भण्डारी ने व्यक्त किया ।
महावीर जैन श्वेताम्बर पेढ़ी (ट्रस्ट), वर्धमान-राजेन्द्र जैन भाग्योदय ट्रस्ट (संघ), तत्त्वत्रयी प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के द्वारा सम्पादित होगा । प्रतिष्ठोत्सव में अनेक प्रशासननिक, सामाजिक गणमान्य पदाधिकारियों का भी आगमन होगा ।
दोपहर में सिद्धाचल नवाणु पूजा ताराचन्द, चम्पालाल, मीठालाल ओबाणी-पोषाणा की ओर से संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ पढ़ाई गई ।
सायं कुमारपाल महाराजा की आरती का लाभ संघवी प्रकाश गौरव छाजेड़-पारा निवासी ने लिया ।
प्रातः की नवकारसी बाबूलाल धनराज डोडिया-गाँधीमुथा-पाँथेड़ी, दोपहर की नवकारसी ईश्वरचन्द मिश्रीमल बन्दामुथा-पाँथेड़ी एवं सायं की नवकारसी सुमटिदेवी मनोहरमल अन्दाणी-सुराणा की ओर से हुई ।
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