पूर्व राजपरिवार सदस्य महाराजा हुकम सिंह का निधन दो बार विधायक रहे हुकमसिंह को नम आंखों से दी विदाई - JALORE NEWS
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पूर्व राजपरिवार सदस्य महाराजा हुकम सिंह का निधन दो बार विधायक रहे हुकमसिंह को नम आंखों से दी विदाई - JALORE NEWS
जैसलमेर ( 18 मार्च 2024 ) Former Maharaja of Jaisalmer Hukam Singh : जैसलमेर के पूर्व महाराजा एवं पूर्व हुकमसिंह का रविवार को 97 साल की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने मंदिर पैलेस स्थित अपने आवास में अंतिम सांसे ली। सीएम भजनलाल शर्मा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दुख जताया है। निधन की खबर से पूरे जैसलमेर जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। जैसलमेर के सोनार दुर्ग का भगवे व पीले रंग का रियासत कालीन ध्वज झुक गया। सोमवार को आज महाराज हुकमसिंह का अंतिम संस्कार किया गया।
जैसलमेर के लगातार दो बार विधायक रहे पूर्व राजघराने के वयोवृद्ध सदस्य हुकमसिंह का सोमवार को बड़ा बाग स्थित पूर्व राजघराने के श्मशान स्थल पर पारम्परिक विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र एवं पूर्व विधायक डॉ. जितेंद्रसिंह ने उन्हें मुखाग्रि दी। इससे पहले गांधी चौक स्थित उनके निवास स्थल मंदिर पैलेस से बैकुंठ यात्रा निकाली गई। यात्रा से पहले पैलेस के दरीखाना में हुकमसिंह का पार्थिक शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां उन्हें आम से लेकर खास लोगों ने पुष्प अर्पित कर नमन किया। इस अवसर पर जुटे लोगों ने उनके पुत्र सहित शोक संतप्त अन्य परिवारजनों से मिलकर संवेदना प्रकट की। इनमें जिला कलक्टर प्रतापसिंह, जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी, जिला प्रमुख प्रतापसिंह सोलंकी, पूर्व विधायक सांगसिंह भाटी, पूर्व विधायक रूपाराम धणदे, भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रप्रकाश शारदा आदि शामिल थे। गौरतलब है कि हुकमसिंह का निधन गत रविवार सुबह मंदिर पैलेस में हो गया था। 97 वर्षीय हुकमसिंह ने राजशाही से लोकशाही तक के सफर को बेहद करीब से देखा था। उनके निधन के शोक में गांधी चौक व अमरसागर प्रोल के बाहर स्थित अनेक दुकानें व प्रतिष्ठान बंद रखे गए। मंदिर पैलेस से उनकी बैकुंठ यात्रा हनुमान चौराहा तक पहुंची, जहां फूलों से सजे ट्रक के माध्यम से बड़ाबाग पहुंचाया गया। उनकी अंतिम यात्रा में पूर्व राजघराने से चैतन्यराजसिंह, शिवेंद्रसिंह, विक्रमसिंह नाचना आदि भी शामिल हुए। सभी समाजों के लोगों ने मंदिर पैलेस पहुंचकर हुकमसिंह को अंतिम विदाई दी।
सादगी और विद्वता की मिसाल
जैसलमेर रियासत के पूर्व महारावल जवाहिर सिंह के सुपुत्र पूर्व महाराजा हुकम सिंह का अचानक हर्दय गति रुकने से निधन हो गया ।
पूर्व महाराजा हुकम सिंह ने अंतिम सांस मंदिर पैलेस में ली। वे 97 साल के थे। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को करीब 12 बजे बड़ाबाग सिथित छतरियों के पास किया जाएगा। 14 फरवरी 1927 को जन्मे हुकमसिंह जैसलमेर रियासत के पूर्व महारावल जवाहिरसिंह के पुत्र थे। उन्होंने रियासतकाल से लेकर लोकतंत्र के सफर में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक तक की पढ़ाई की। वे 1957 और 1962 में लगातार दो बार जैसलमेर विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। जिले के पहले जिला प्रमुख का पदभार भी उन्होंने कुछ वर्षों तक संभाला। वे सादगीपूर्ण ढंग से रहते थे। यह सादगी उनके पहनावे से लेकर खान-पान और आमजन से व्यवहार में पूरी तरह से झलकती थी। अध्ययन में विशेष रुचि रखने वाले हुकमसिंह कई भाषाओं के जानकार थे और उनसे मिलने आने वालों से पूरी आत्मीयता से मिलते थे। जैसलमेर जिले के प्रारम्भिक विकास की रूपरेखा तैयार करने में उन्होंने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। बताया जाता है कि आजादी के समय जैसलमेर रियासत का भारत संघ में विलय के भी वे पुरजोर समर्थक थे। वर्ष 1990 में उनके पुत्र डॉ. जितेंद्र सिंह जैसलमेर के विधायक निर्वाचित हुए। बीते कुछ दशकों से राजनीति से उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दूरी बना ली थी। उनके निधन पर जैसलमेर के सर्व समाज के लोगों ने शोक जताया है।
पूर्व महारावल जवाहर सिंह के घर जन्मे थे हुकमसिंह
जैसलमेर के महारावल जवाहरसिंह के शासक बनने से पहले एटा के ठा. मानसिंह के गोद गये थे. उस समय उनका विवाह 1906 ई. में लूणार में हुआ था. 1907 ई. में महाराजकुमार गिरधरसिंह का जन्म हुआ. 1914 ई. में जवाहरसिंह जैसलमेर के राजसिंहासन पर विराजे. जिसके बाद उनके दो अन्य विवाह हुए. लेकिन राजगद्दी पर विराजने के 12 साल बाद तक भी उनके कोई संतान नहीं हुई, जिससे वे चिंतित थे. अंत में महारावल ख्याला मठ पधारे महंत श्री शेम्भूनाथ से पुत्र रत्न की इच्छा जाहिर की. महंत ने आशीर्वाद दिया कि नाथ सिंद्धो के हुकम से पुत्ररत्न प्राप्त होगा. उसका नाम हुकमसिंह रखना.नाथसिद्ध योगी शम्भूनाथ जी के वचन फलीभूत हुए. उसके बाद 1927 ई. में हुकमसिंह का जन्म हुआ. यही कारण है कि आज भी भाटी राजवंशज ख्याला मठ के नाथगुरूओं के प्रति अगाध श्रद्धा व विश्वास है.
हुकम सिंह के साथ ही हुआ एक युग का अंत
हुकमसिंह का निधन हर किसी के लिए हार्ड एक युग का अंत हो. उनका जन्म 14 फरवरी 1927 को हुआ. इनका ननिहाल बूंदी के राजघराने में था. वहीं डूंगरपुर राजघराने में इनका ससुराल था. हुकमसिंह आगारा विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त थे. हुकम सिंह जैसलमेर के पहले जिला प्रमुख रहे. साथ ही हुकमसिंह 1957 और 1962 में दो बार लगातार विधायकी का चुनाव लड़ा व जीते भी.
जैसलमेर रियासत के भारत विलय में रही भूमिका
जैसलमेर के भारत विलय में भी महाराज हुकमसिंह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. जैसलमेर का विलय जब भारत गणराज्य में रहा था उस समय हुकमसिंह मात्र 22 साल के थे. इस दौरान अपने बडे भाई महारावल गिरधरसिंह के साथ जैसलमेर की भौगोलिक एवं राजनैतिक विशेषता को देखते हुए भारत के विलय में अपनी सहमति एवं पूर्ण सहयोग जताया था. उस समय सरदार पटेल के साथ चली वार्ताओं में सिंह अपने बड़े भाई महारावल गिरधरसिंह के साथ रहते थे.
हुकम सिंह कहां जन्मे
जैसलमेर के महारावल जवाहरसिंह के शासक बनने से पहले एटा के ठा. मानसिंह के गोद गये थे। उस समय उनका विवाह 1906 ई. में लूणार में हुआ था। 1907 ई. में महाराजकुमार गिरधरसिंह का जन्म हुआ। 1914 ई. में जवाहरसिंह जैसलमेर के राजसिंहासन पर विराजे। जिसके बाद उनके दो अन्य विवाह हुए। लेकिन राजगद्दी पर विराजने के 12 साल बाद तक भी उनके कोई संतान नहीं हुई, जिससे वे चिंतित थे।
अंत में महारावल ख्याला मठ पधारे महंत श्री शेम्भूनाथ से पुत्र रत्न की इच्छा जाहिर की। महंत ने आशीर्वाद दिया कि नाथ सिंद्धो के हुकम से पुत्ररत्न प्राप्त होगा। उसका नाम हुकमसिंह रखना। नाथसिद्ध योगी शम्भूनाथ जी के वचन फलीभूत हुए। उसके बाद 1927 ई. में हुकमसिंह का जन्म हुआ। यही कारण है कि आज भी भाटी राजवंशज ख्याला मठ के नाथगुरूओं के प्रति अगाध श्रद्धा व विश्वास है।
हुकम सिंह का राजनीतिक करियर
पूर्व राजघराना सदस्य हुकम सिंह ने दूसरी और तीसरी विधानसभा में जीत हासिल करके इतिहास रचा। वे पहले नेता थे, जिन्होंने जैसलमेर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी। इसमें भी रोचक जानकारी सामने आई है कि पूर्व राजघराने के सदस्य हुकम सिंह ने पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता तो दूसरा कांग्रेस के टिकट पर जीते। वहीं छोटू सिंह ने लगातार दो बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की।
हुकम सिंह के साथ ही हुआ एक युग का अंत
हुकमसिंह का जन्म 14 फरवरी 1927 को हुआ। ननिहाल बूंदी के राजघराने में था, डूंगरपुर राजघराने में इनका ससुराल था। हुकमसिंह आगारा विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त थे। हुकम सिंह जैसलमेर के पहले जिला प्रमुख रहे।
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