राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों की किस्मत दांव पर, कौन जीत रहा और कौन हार…? जानें
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राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों की किस्मत दांव पर, कौन जीत रहा और कौन हार…? जानें
जयपुर / जालौर ( 27 अप्रैल 2024 ) राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश की सभी 25 सीटों पर मतदान प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। इस बार चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों की किस्मत दांव पर लगी हुई है। चूंकि दोनों ने ही अपने पुत्रों के लिए प्रचार प्रसार ने दमखम लगा दिया था। ऐसे में दोनों पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर है।
झालावाड़-बारां से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह और जालोर-सिरोही से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं। दुष्यंत सिंह वर्तमान में सांसद हैं, लेकिन वैभव गहलोत अभी तक कोई चुनाव नहीं जीते हैं।
गहलोत के बेटे वैभव मैदान में
जालोर और सिरोही जिले के 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जालोर में पिछले 20 साल से भाजपा का दबदबा है। मोदी लहर से पहले ही जालोर में भाजपा ने अपने पैर जमा लिए थे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में सुशीला बंगारू ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार तीन बार देवजी पटेल सांसद बने।
वहीं इस बार भाजपा ने लुंबाराम चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर इस बार 62.56 फीसदी मतदान हुआ है। साल 2019 के मुकाबले 3.18 फीसदी मतदान में कमी आई है। अब देखना होगा कि कौन अपनी सुनिश्चित करता है।
वसुंधरा के बेटे दुष्यंत लड़ रहे चुनाव
झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र के मतदाता वोट देने में इस बार अधिक उत्साह नहीं दिखा पाए। ऐसे में परिणाम जानने में असमंजस हो गया। शाम छह बजे तक लोकसभा क्षेत्र में कुल 68.72 फीसदी मतदान हुआ। जबकि वर्ष 2019 में हुए चुनाव में झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र का मतदान प्रतिशत 71.94 रहा था। यानी इस बार 3.22 प्रतिशत वोट कम पड़े।
इस सीट से राजस्थान की पूर्व पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे और मौजूदा सांसद दुष्यंत सिंह फिर से चुनावी मैदान में हैं। दुष्यंत सिंह का मुकाबला गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके कांग्रेस नेता प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला से है।
पार्टी से ज्यादा बेटे के भविष्य की चिंता
वैभव गहलोत को जालोर सिरोही लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारे जाने के बाद से पूर्व सीएम अशोक गहलोत सिर्फ वहीं व्यस्त हैं। हालांकि वे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की कैंपेनिंग कमेटी के चेयरमैन हैं। उनका फर्ज है कि वे पार्टी के सभी प्रत्याशियों को बराबर समय दे लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्हें पार्टी के बजाय केवल अपने बेटे की भविष्य की चिंता है। गहलोत यह जानते थे कि जोधपुर में गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने वैभव गहलोत की दाल नहीं गलेगी। ऐसे में जीत की उम्मीद लेकर उसे जालोर ले गए। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी सहित पार्टी के कई नेताओं की रैलियां भी कराई। बताया जा रहा है कि जालोर सीट पर माली समाज के मतदाताओं की संख्या अच्छी तादाद में है। उसी से आस करते हुए वे वैभव गहलोत को जालोर ले गए।
दरअसल, जालौर में ही प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि कभी लोकसभा में 400 सीटें जीतने वाली पार्टी अब 300 सीटों पर उम्मीदवार ढूंढने के लिए संघर्ष कर रही है, ये उनके पापों की वजह से हुआ है.
अमित शाह ने भी अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए शनिवार को एक रैली में कहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेता अपने बेटे के प्रचार अभियान तक ही फंस कर रहे गए हैं.उन्होंने रैली में दावा किया कि उनका बेटा भारी अंतर से चुनाव हारने जा रहा है और एनडीए को लगातार तीसरी बार राजस्थान सभी सीटें देने जा रहा है.
किन-किन दिग्गजों की किस्मत EVM में बंद
जोधपुर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,
जालौर से अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत
कोटा से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
बाड़मेर से रविंद्र भाटी और कैलाश चौधरी
चित्तौड़गढ़ से बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी
झालावाड़ से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत सिंह
भीलवाड़ा से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव मैदान में थे.
राजस्थान की किस सीट पर कितने प्रतिशत हुआ मतदान
बाड़मेर 73.68%
बांसवाड़ा 72.24%
कोटा 70.82%
झालावाड़ 68.72%
चित्तौड़गढ़ 67.83%
उदयपुर 64.01%
जोधपुर 63.30%
जालौर 62.28%
अजमेर 52.38%
भीलवाड़ा 60.10%
अजमेर 59.22%
राजसमंद 58.01%
पाली 56.80%
टोंक-सवाई माधोपुर 56.00%
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