श्रावण माघ विशेष कवरेज : श्री धुंधलेश्वर महादेव मंदिर स्वरूप पूरा महादेव मंदिर जालोर - JALORE NEWS
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श्रावण माघ विशेष कवरेज : श्री धुंधलेश्वर महादेव मंदिर स्वरूप पूरा महादेव मंदिर जालोर - JALORE NEWS
जालौर ( 29 जुलाई 2024 ) वर्तमान समय में हिन्दू केलेंडर का महीना सावन चल रहा हैं जो कि भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना माना जाता हैं। मान्यता है कि जो भक्त सावन मास में सच्चे मन और विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन सब पर देवाधिदेव महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। ऐसे में सभी इस महीने में अपने इष्ट भोलेनाथ के दर्शन को आतुर रहते हैं और इसके लिए शिव मंदिरों का रूख करते हैं। आज हम आपके लिए राजस्थान के जालोर में प्रसिद्द शिव मंदिरों की जानकारी लेकर आए हैं जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा हमेशा लगा रहता हैं, लेकिन सावन के दिनों में यह संख्या और बढ़ जाती हैं। अगर आप भी सावन के दिनों शिव मंदिरों के दर्शन करना चाहते हैं तो चले आइये यहां के मंदिर में दर्शन करने के लिए और यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें ।
श्रावण माघ सोमवार को विशेष कवरेज - Shravan Magh Special Coverage : Shri Dhundhleshwar Mahadev Temple Swaroop Pura Mahadev Temple Jalore
राजस्थान में आस्था और चमत्कार से जुड़े कई मंदिर हैं. ऐसा ही एक मंदिर जालौर जिले से 9 किमी. दूर स्वरूप पूरा स्थित धुंधलेश्वर महादेव मंदिर है. यह एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है और मान्यता है कि इस मंदिर में नमक चढ़ाने से कई बीमारियों से निजात मिलती है. इससे यहां हमेशा भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है और यहां श्रावण मास के हर सोमवार पर विशाल मेले का आयोजन होता है.
ऐसे हुई शिवलिंग की स्थापना
पंडित बताते हैं यहां स्थान बहुत ही प्राचीन हैं। जालौर से मात्र 9 किमी.) महादेवजी का पूर्ण पर्चा हैं। वर्तमान शिवलिंग स्थापित नहीं है। यहां किसी समय में साधु सन्यासीयों का मठ ,अखाड़ा या अन्य स्थान रहा होगा जहाँ सन्यासीयों को समाधि दी जाती थी। अभी यहां समाधियां हैं । और इस मंदिर प्रांगण में सात जीवित समाधियां भी हैं । वर्तमान शिवलिंग की कथा इस प्रकार है। जिसका पहला नाम भूतेश्वर महादेव था और यह शिवलिंग स्थापित शिवलिंग नहीं थी । यह जमीन ( खेत ) से स्वयं निकलता है। स्वरुपुरा ग्राम के तत्कालीन ठाकुर साहब श्री बनेसिंहजी पुत्र मुकनसिंह बालावत, ठिकाना स्वरुपुरा के समय में विक्रम संवत 1860 छीपा धुकाजी काश्तकार के खेत में हल चलाते समय शिवलिंग प्रकट हुआ। तत्कालीन ठाकुर साहब बन्नेसिंहजी ने मंदिर बनवाकर ओरण जमीन 105 बीघा छोडी साथ ही 15 बीघा जमीन खेत के रूप में पुजारी ( पुरीनामा ) को दी तथा विधिवत पूजा प्रारंभ हुई । संवत् 2018 विक्रम से अखण्ड ज्योत व पूजा चालू हैं। और उस समय से इसका नाम तभी से इस मंदिर का नाम धुंधलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा है।
विक्रम संवत 2047 मैं श्री श्री 1008 श्री शांन्तिनाथ महाराज सिरे मंदिर जालौर की अध्यक्षता श्री गणेशजी हनुमानजी एवं नंदी की मुर्तियों की स्थानपना वैशाख सुदी छठ को की गई साथ में एक युगलमुर्ति शिव पार्वती की भी दर्शनार्थ स्थापित की गई। इसके पश्चात आजकल पुर्व रूप से प्रगति के पथ पर है । वर्तमान वि.संवत् 2071 ( सत्र 2014-15) मैं मंदिर का जीर्णोद्धार एवं संगमरमर का कार्य हुआ।। तथा पुनः सभी मुर्तिया स्थापित की साथ ही श्री गणेशजी एवं कार्तिक स्वामी की मुर्तिया तथा कश्यप की मुर्ति फाल्गुन शुक्ल पंचमी सोमवार संवत् 2071 को स्थापित गई हैं। ये महादेव जी मस्सा एवं गांठ की बीमारी महादेव की कृपा एवं आस्था से ठीक भी होते है। हर सोमवार को मेला रहा है। श्रावण माह में भरपूर मेला रहता है। रुद्राभिषेक आदि होते है।
इनका कहना है कि
जालौर - JALORE NEWS https://youtu.be/qzDyRHTXkmM?feature=shared
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यहां की मान्यताएं और चमत्कार
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर का चमत्कार है कि यदि किसी भक्त को मस्सा, गांठ या मेद या सफेद दाग की बीमारी हो जाती है, तो यहां महादेव पर श्रद्धा रखकर शिवलिंग के चरणामृत का पानी और भस्म को पानी में मिलाकर पीने से इन सभी बीमारियों से निजात मिल जाती है. यहां की मान्यता है कि मंदिर में नमक चढ़ाने पर शरीर में होने वाले सफेद दाग की बीमारी से छुटकारा मिलता है.
यही नहीं, जो भक्त यहां दूर-दूर से अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए आते हैं, वे मनोकामना पूर्ण होने पर अपनी श्रद्धा अनुसार चांदी के मस्से, नमक, गोला, मिश्री, मखाने, चढ़ाते हैं. मंदिर परिसर में मौजूद भक्तों ने बताया कि महादेव पर श्रद्धा और आस्था रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामना यहां पूरी होती है. अभी वर्तमान में इस मंदिर परिसर के देख-रेख का कार्यभार ठाकुर के सानिध्य में किया जा रहा है.
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