नवरात्रि पर्व : जालौर में यहाँ पर 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है चामुंडा माता मन्दिर - JALORE NEWS
![]() |
Navratri-Festival-Chamunda-Mata-Temple-is-situated-at-a-height-of-1200-feet-in-Jalore |
नवरात्रि पर्व : जालौर में यहाँ पर 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है चामुंडा माता मन्दिर - JALORE NEWS
जालौर ( 5 अक्टूबर 2024 ) JALORE NEWS शहर के स्वर्णगिरि दुर्ग पर स्थित अम्बे माता मंदिर शहर का सबसे प्रचीन मंदिर है। इतिहासकारों और शिलालेखों के अनुसार इस मंदिर स्थापना करीब 900 वर्ष पहले चौहान राजवंश ने की थी। 1181 ई. में कीर्तिपाल चौहान ने जालोर में आकर अपना शासन शुरू किया था। उस दरम्यान नाडोल (पाली) में अल्हड़देव चौहान का शासन था और कीर्तिपाल चौहान उनके पुत्र थे। उन्होंने यहां दुर्ग के पास झालर बावड़ी के पास चामुंडा मां मंदिर की स्थापना करवाई और उसे कुलदेवी मानने लगे।
इतिहासकारों के अनुसार उस समय यह मंदिर विशाल भू-भाग में फैला था। 130 वर्ष के शासनकाल में राजवंश के अलावा जालोर के लोगों ने भी इसे कुलदेवी माना और सोनिगरा कहलाए। 1311 ई. में अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान इस मंदिर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था। आक्रमण के कारण जालोर के लोग यहां से विस्थापित होकर पाली और गुजरात चले गए थे।
उस दरम्यान सभी विस्थापित सोनिगरा कहलाए। जोधपुर के राजा मानसिंह ने जालोर दुर्ग पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। वर्तमान में बंशीलाल शर्मा का परिवार पूजा करता आ रहा है। उन्होंने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी उनका परिवार देवी की पूजा कर रहा है। यहां नवरात्रि के दिनों में देशभर से बड़ी तादाद में सोनिगरा अपनी कुलदेवी के दर्शनार्थ पहुंचते है।
देवी के आशीर्वाद हुआ था जालोर का विस्तार
कीर्तिपाल चौहान के पौत्र उदयसिंह ने जालोर पर 1205 से 1257 ई. के बीच शासन किया। उदयसिंह देवी के परमभक्त थे और उन्होंने अपने शासनकाल में कई युद्ध कर जालोर का गुजरात सीमा तक विस्तार किया था। इस दरम्यान जालोर काफी समृद्ध बना।
जालोर की कुलदेवी मां चामुंडा
सोनगिरि पर रहने वाले सभी सोनिगरा कहलाए और उनकी कुलदेवी दुर्ग स्थित मां चामुंडा है। 1311 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के बाद शेष बचे लोग यहां से विस्थापित हो गए। वर्तमान में इनके वंशज आज भी देवी के दर्शनार्थ जालोर दुर्ग पर पहुंचते है।
देवी आराधना के बाद किया था शाका
1305 से 1311 ई. में जालोर पर कान्हड़देव का शासन रहा। इस दरम्यान अलाउद्दीन की सेना गुजरात विजय के साथ सोमनाथ मंदिर को लूट कर कुछ अवशेष दिल्ली लेकर जा रही थी। कान्हड़देव की सेना ने अलाउद्दीन की सेना पर आक्रमण कर मंदिरों के विखंडित अवशेषों को अपने अधिकार में ले लिया। इससे नाराज खिलजी ने जालोर पर आक्रमण किया और छल कपट से स्वर्णगिरि दुर्ग में प्रवेश किया। इसे देख कान्हड़देव ने चामुंडा माता की पूजा के बाद शाका किया था।
कान्हडदेव ने देवी आराधना के बाद किया था शाका
1305 से 1311 ई. में जालोर पर कान्हड़देव का शासन रहा। इस दौरान अलाउद्दीन की सेना गुजरात विजय के साथ सोमनाथ मंदिर को लूट कर कुछ अवशेष दिल्ली लेकर जा रही थी। कान्हड़देव की सेना ने अलाउद्दीन की सेना पर आक्रमण कर मंदिरों के विखंडित को अपने अधिकार में ले लिया। इससे नाराज खिलजी ने जालोर पर आक्रमण किया और छल कपट से स्वर्णगिरि दुर्ग में प्रवेश किया। इसे देख कान्हड़देव ने चामुंडा माता की पूजा के बाद शाका किया था।
1205 के बाद हुआ था विस्तार
कीर्तिपाल चौहान के पौत्र उदयसिंह ने जालोर पर 1205 से 1257 ई. के बीच शासन किया। उदयसिंह देवी के परमभक्त थे और उन्होंने अपने शासनकाल में कई युद्ध कर जालोर का गुजरात सीमा तक विस्तार किया था। इस दौरान जालोर काफी समृद्ध बना था।
1311 में खिलजी के आक्रमण के बाद यहां से लोग हुए थे विस्थापित
सोनगिरी पर रहने वाले सभी सोनिगरा कहलाए थे और उनकी कुलदेवी मां चामुंडा है। 1311 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के बाद शेष बचे लोग विस्थापित हो गए थे। वर्तमान में इनके वंशज देवी के दर्शनार्थ जालोर दुर्ग पर पहुंचते हैं।
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें