bhinmal news निर्जला एकादशी पर लोगों को दान-पुण्य करने का विशेष महत्व रहता है
![]() |
On-Nirjala-Ekadashi-there-is-special-importance-of-doing-charity-to-the-people. |
bhinmal news निर्जला एकादशी पर लोगों को दान-पुण्य करने का विशेष महत्व रहता है
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 29 मई 2023 ) bhinmal news निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।
भगवान विष्णु ने जन कल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों सहित कुल 26 एकादशियों को उत्पन्न किया। इनमें ज्येष्ठ माह की एकादशी सब पापों का हरण करने और समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है। इस एकादशी को निर्जला एकादशी, भीम एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह एकादशी 31 मई बुधवार को है। इस एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है।
प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि इस व्रत को लेकर धार्मिक मान्यता यह है कि यदि आप पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं और निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं तो आपको संपूर्ण एकादशियों का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है । भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। इस व्रत के प्रभाव से प्राणी जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
निर्जला एकादशी के इस महान व्रत को 'देवव्रत' भी कहा जाता है क्योंकि सभी देवता, दानव, नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, नवग्रह आदि अपनी रक्षा और जगत के पालनहार श्रीहरि की कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी का व्रत करते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है। इस दिन मन, कर्म और वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही तामसिक आहार, परनिंदा एवं दूसरों का अपमान से भी दूर रहना चाहिए। भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है।
प्रवीण शास्त्री ने बताया कि इस एकादशी पर गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान और भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्त्व है। इस दिन श्रीहरि को प्रिय तुलसी की मंजरी तथा पीला चन्दन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल, धूप-दीप, मिश्री आदि से भगवान दामोदर का भक्ति-भाव से पूजन करना चाहिए। पीताम्बरधारी भगवान विष्णु का विधिवत पूजन के बाद 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना सौभाग्य में वृद्धि करता है।
इस दिन गोदान, वस्त्रदान, छत्र, जूता, फल एवं जल आदि का दान करने से मनुष्य को परम गति प्राप्त होती है। रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य, भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है, वह हज़ारों वर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर एवं दक्षिणा देकर तत्पश्चात अन्न व जल ग्रहण करें।
जल दान करने का मंत्र
इस दिन व्रत करने वाले को या जो व्रत नहीं भी हैं, उन्हें जरूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए।
देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें